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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मी टाणं - उदेसो-२ -: बी ओ - उद्दे सो :(७७) जे देवा उड्ढोबवण्णगा कप्पोवदण्णगा विमाणोववण्णगा चारोववण्णगा चारद्वितिया गतिरतिया गतिसमावण्णगा तेसि णं देवाणं सता समितं जे पाये कम्मे कजति तस्थगतावि एगतिया वेदणं वेदेति अण्णत्थगतावि एगतिया वेदणं वेदेति नाइवाणं सता सपियं जे पावे कम्पे कजति तत्थगतावि एगतिया वेदणं वेदेति अण्णत्यगतावि एगतिया वेदणं वेदेति जाव पंचिदियातिरिक्खजोणियाणं मणुस्साणं सता समित्तं जे पाये कम्मे कजति इहगतावि एगतिया वेदणं वेदेति अण्णस्थगतावि एगतिया वेदणं वेदेति मणुस्सवज्ञा सेसा एक्कगमा ७७]-77 (७८) नेरतिता नेरइया दगतिया यागतिया प.-नेरइए नेरइएसु उववजमाणे मणुस्सेहिंतो वा पंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो या उववजेज्जा से चेव णं से नेरइए नेरइयत्तं विप्पजहमाणे मणुस्सत्ताए वा पंचिदियतिरिक्ख-जोणियत्ताए वा गच्छेना एवं असुरकुमा- रावि नवरं-से चेव णं से असुरकुमारे असुरकुमारत्तं विप्पजहमाणे मणुस्सत्ताए वा तिरिस्खजोणियत्ताए वा गच्छेजा एवं-सव्वदेवा पुढविकाइया दुगतिया दुवागतिया प.-पुढविकाइए पुढविकाइएसु उववजमाणे पुढविकाइएहिंतो वा नो पुढविकाइएहिंतो वा उववज्जेज्जा से वेव णं से पुढविकाइए पुढविकाइयत्तं विप्पजहमाणे पुढविकाइयत्ताए वा नो एवं जाव पणुस्सा ७८1-78 (७९) दुविहा नेरइवा पण्णत्ता तं जहा-भवसिद्धिया चेव अभवसिद्धिया चेव जाय वेमाणिया दुविहा नेरइया पण्णत्ता तं जहा-अणंतरोववण्णमा चेव परंपरोववष्णगा चेव जावं वेमाणिया दुविहा नेरइया पण्णत्ता तं जहा-गतिसमावण्णगा चेव अगतिसमावण्णगा चेव जाव वेमाणिया दुविहा नेरइया पण्णत्ता तं जहा-पढमसमओबवण्या चेव अपढमसमओववण्णगा वेव जाव वेमाणिया दुविहा नेरइया पण्णत्ता तं जहा-आहारगा चेव अणाहारगा चेव एवं जाव वेमाणिया दुविहा नेरइया पण्णता तं जहा-उस्सासगा वेव नोऽस्सासमा चेव जाव येमाणिया दुविहा नेरइया पण्णत्ता तं जहा-सइंदिया चेव अणिदिया चेव जावं वैमाणिया दुविहा नेरइया पण्णता तं जहा-पञ्जतगा चेव अपजत्तगा चेव जाव येमाणिया दुविहा नेरइया पण्णत्ता तं जहा-सण्णी चेव असण्णी चेव एवं पंचेंदिया सव्वे विगलिंदियवज्जा जाव वाणमंतरा दुविहा नेरइया पण्णत्ता तं जहा-भासगा चेव अमासगा चेव एवमेगिदियरजासवे दुविहा नेरइया पण्णत्ता तं जहा-सम्पद्दिछिया चेव मिच्छद्दिट्ठिया चेव एगिदियवजासव्ये दुविहा णेरइया पण्णत्ता तं जहा-परित्तसंसारिता चेव अनंतसंसारिता चेव जाव वैमाणिया दुविहा नेरड्या पण्णता तं जहा-संखेजकालसमयट्ठितिया चेव असंखेञ्जकालसमयट्ठितिया चेव एवं-पंचेंदिया एगिदियाविंगलिंदियावजा जाव वाणमंतरा दुविहा नेरड्या पण्णत्ता तं जहा-सुलमबोधिया चेव दुलभबोधिया चेव जाव वेमाणिया दुविहा नेरइया पण्णत्ता तं जहा-कण्हपक्खिया चेव सुक्कपक्खिया चेव जाव येमाणिया दुविहा नेरइया पण्णता तं जहा-चरिमा चेव अवरिमा चेव जाव वेमाणिया ७९।-79 (८०) दोहिं ठाणेहिं आया अहेलोगं जाणइ-पासइ तं जहा-समोहतेणं चेव अप्पाणेणं आया अहेलोग जाणइ-पासइ असमोहतेणं चेव अप्पाणेणं आया अहेलोगं जाणइ-पासइ आहोहि समोहतासमोहतेणं चेव अप्पाणेणं आया अहेलोग जाणइ-पासइ [दोहिं ठाणेहिं For Private And Personal Use Only
SR No.009729
Book TitleAgam 03 Thanam Angsutt 03 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages170
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 03, & agam_sthanang
File Size3 MB
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