SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 115
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टाणं - ५/२/४७९ - त ई ओ - उ दे सो :(४७९) पंच अस्थिकाया पन्नता तं जहा-धम्मस्थिकाए अधम्मत्थिकाए आगासस्थिकाए जीवत्यिकाए पोग्गलत्यिकाए धप्पत्थिकाए अवण्णे अगंधे अरसे अफासे अरूवी अजीवे सासए अवट्ठिए लोगदच्चे से समासओ पंचविधे पन्नत्ते तं जहा-दव्वओ खेत्राओ कालओ भावओ गुणओ दव्यओ णं धम्मस्टिकाए एगं दव्वं खेत्तओ लोगपमाणयेते कालओ न कयाइ नासी न कयाइ न भवति न कयाइ न भविस्सइत्ति भुपिं च भवति य भविस्साते य धुवे निइए सासते अक्खए अब्बए अवहितै निच्चे भावओ अवण्णे अगंधे अरसे अफासे गुणओ गमणगुणे ___ अधम्मत्थिकाए [अवणे अगंधे अरसे अफासे अस्वी अजीवे सासए अवट्ठिए लोगदव्वे से समासओ पंचविधे पण्णत्ते तं जहा-दव्यओ खेत्तओ कालओ भावओ गुणओ दब्बओ णं अधम्मस्थिकाए एगं दव्वं खेतओ लोगपमाणमेत्ते कालओ न कयाइ नासी न कयाइ न भवति न कयाइ न भविस्सइत्ति भुपिं च भवति य भविसि य धुवे निइए सासते अक्खए अव्वए अवट्टिते निचे भावओ अवण्णे अगंधे अरसे अफासे गुणओ ठागणुणे) आगासस्थिकाए अवण्णे [अगंधे अरसे अफासे अरूवो अजीवे सासए अवहिए लोगालोगदव्वे से समासओ पंचविधे प.-दचओ खेत्तओ कालओ भावओ गुणओ दवओ णं आगासस्थिकाए एगं दव्वं खेत्तओ लोगालोगपमाणमेत्ते कालओ न कयाइ नासी न कयाइ न भवति न कयाइ न भविस्सइत्ति भविं च भवति च भविस्सति य धुवे निइए सासते अक्खए अव्बए अवट्टिते निचे भावओ अवण्णे अगंधे अरसे अफासे गुणओ अवगाहणागुणे] जीवत्थिकाए णं अवगे |अगंधे अरसे अफासे अरूवी जीवे सासए अवष्ठिए लोगदब्बे से समासओ पंचविधे पण्णते तं जहा दब्बओ खेत्तओ कालओ भावओ गुणओ दव्वओ णं जीवस्थिकाए अनंताई दवाई खेत्तओ लोगपमाणमेते कालओ न कयाइ नासी न कयाइ न भवति न कचाइ न भविस्सइत्ति भर्वि च भवति य भबिस्सति य धुवे निइए सासते अक्खए अव्यए अवट्टितै निच्चे भावओ अवण्णे अगंधे अरसे अफासे गुणओ उवओगगुणे] पोग्गलस्थिकाए पंचवण्णे पंचरसे दुगंधे अट्ठफासे रूवी अजीवे सासते अवहित लोगदब्बे से समासओ पंचविधे पण्णत्ते तं जहा-दबओ खेत्तओ कालओ भावओ गुणओ दव्यओ णं पोग्गलस्थिकाए अनंतई दवाई खेतओ लोगपमाणमेत्ते कालओ न कयाइ नाप्सि न कयाइ न भवति न कवाइ न भविस्सइत्ति भूविं च भवति य भविस्सति य धुवे निइए सासते अक्सर अव्वए अवट्टितै निच्चे भावओ वण्णमंते जाव फासमंते गुणओ गहणगुणे ।४४१1-441 (४८०) पंच गतीओ पन्नताओ तं जहा-निरवगती तिरियगती मणुयगती देवगती सिद्धिगती ।४४२-442 (४८१) पंच इंदियस्था पन्नता तं जहा-सोतिदियरथे [चक्विदिवत्थे धाणिदियत्ये जिभिदियत्थे ] फासिंदियत्थे पंच मुंडा पन्नत्ता तं जहा-सोतिदियमुंडे चक्विंदियमुंडे धाणिदियमुंडे जिभिदिवमुंडे फासिंदियमुंडे अहवा-पंच मुंडा पन्नत्ता तं जहा-कोहमुंडे मानमुंडे माया- मुंडे लोभमुंडे सिरमुंडे ।४४३।-43 (४८२) अहेलोगे णं पंच बायरा पन्नता तं जहा-पुढविकाइया आउकाइया वाउका For Private And Personal Use Only
SR No.009729
Book TitleAgam 03 Thanam Angsutt 03 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages170
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 03, & agam_sthanang
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy