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________________ : प्रमाण गाथा : काऊ ण णमुक्काएं, जिणवर वसहस्स वड्ढमाणस्स । दंसण मग्गं वोच्छामि, जहाकम्मं जहाकम्मं समासेण || सव्वण्हु सय्यदंसी, णिम्मोहा वीयराय परमेठ्ठी । वन्दित्तु तिजगवन्दा, अरहंता भव्य जीवेहिं ॥ सपरा जंगम देहा, दंसण णाणेण सुद्ध चरणाणं । णिग्गंथ वीयराया, जिणमग्गे एरिसा एरिसा पडिमा ॥ मणुयभवे पंचिन्दिय जीवद्वाणेसु होइ चउदसमे । एदे गुण गण जुत्तो गुणमारूढो हवइ अरुहो । णाणमयं अप्पाणं, उवलद्धं जेण झडियकम्मेण । चइऊण य परदव्वं, णमो णमो तस्स देवस्स || जिणबिम्बं णाणमयं संजमसुद्धं सु वीयरायं च । जं देइ दिक्खसिक्खा, कम्मक्खय कारणे सुद्धा || संसग्ग कम्म खिवणं, सारं तिलोय न्यान विन्यानं । रुचियं ममल सहावं, संसारं तिरंति मुक्ति गमनं च ॥ गुण वय तव सम पडिमा दाणं जलगालणं अणत्थमियं । दंसण णाण चरितं किरिया तेवण्ण सावया भणिया ॥ ॥ श्री गुरू तारण तरण मंडलाचार्य महाराज की जय ॥ इसके पश्चात् सावधान (खडे) होकर श्री जिनवाणी जी को भक्ति भाव और विनय पूर्वक वेदी जी पर विराजमान करके आरती करना चाहिये। आरती के बाद तिलक प्रसाद प्रभावना तत्पश्चात् तत्त्वमंगल और अंत में स्तुति करके विनय करना चाहिये । , - तिलक चंदन की विधि - आरती करने के पश्चात् सभी श्रावकजन अपने स्थान पर विनयपूर्वक बैठ जायें । चंदन की कटोरी पंडित जी अपने हाथ में लेकर यह श्लोक पढ़ें चंदनं शांति दातारं सर्व सौख्य प्रदायकम् । - ६५ प्रतीकं रत्नत्रयं विन्दं, सिद्ध सिद्धं नमाम्यहम् ॥ यह मंत्र पढ़ने के बाद कोई सज्जन सिर पर टोपी लगाकर अनामिका अर्थात् छिंगुरी के पास वाली अंगुली से सबको माथे के भ्रूमध्य अर्थात् दोनों भौहों के बीच में चंदन लगावें। कोई बहिन माताओं बहिनों को चंदन लगावें । चंदन लगाने की क्या विशेषता है ? चंदन शांति स्वरूप है, माथे का चंदन सौभाग्य सूचक तथा हम किसके उपासक हैं इसका प्रतीक है बिंदी लगाना सिद्ध स्वरूप का प्रतीक है तथा खौर का चंदन लगाना अनन्त चतुष्टय, रत्नत्रय सहित सिद्ध स्वरूप का प्रतीक है। प्रसाद - प्रभावना आये हुए प्रसाद की थाली और व्रत भंडार की राशि पंडित जी अपने हाथ में लेकर खड़े होवें और धन्यवाद स्वरूप शुभकामना करें श्री शुभ स्थान............ निवासी श्रीमान्... .......... की ओर से ..............के उपलक्ष्य में प्रभावना निमित्त प्रसाद आया तथा . रुपया व्रत भण्डार में प्राप्त हुए। आपके शुभ भावों में निरन्तर वृद्धि हो । - . ......
SR No.009719
Book TitleMandir Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBasant Bramhachari
PublisherAkhil Bharatiya Taran Taran Jain Samaj
Publication Year
Total Pages147
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size1 MB
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