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________________ ११९ पुराने भजन १. आयरन फूलना ए आयरन, अहो आयरन जिनुत्त पाइयो । आलाप समय सुनाइयो | आलाप जिन सन्मुख भये । तं पात्र कमल प्रवेस जिनवर, स्वल्प साह सम्हारिये । तं पात्र नन्त विचार जिनवर, स्वल्प साह सम्हारिये ।। सुइ इन्द्र धर्महि श्रेणि पूरित, सुइ कलन कमल राये । तर तार कमल सु नंद नंदित, सह समय मुक्ति पाये || ऐसे धुव तीर्थंकर पाये, पाये पाये हो जिनाये । सोइ परमेष्ठी रमण राये,ऐसे केवल जिनाये ॥ मुक्ति के दाता पाये, मुक्ति के रमन पाये ॥ मैं पायो जिनवर आपनो, मैं पायो स्वामी आपनो । मैं पायो केवल आपनो, मैं पायो धुव जिन आपनो ॥ समय मिलिये जिनवर अपनो, हरष मिलिये हलस मिलिये जिनवर अपनो ॥ ऐसे स्वल्प शाह जिन पाये, मिलिये जिनवर आपनो ॥ केवल जिन पाये, गुरु आपनो ॥ बहर मिलना हो स्वामी, मिलकर तारो जिना ॥ अब जिन जू के बोल मुकति रमना हो सांचे देव तारो जिना..... ऐसो समय न बारम्बार, प्यारो स्वामिया हो || टेक || अब चौ संघ विराजे म्हारा देव, प्यारो स्वामिया हो || ऐसे ऋषि यति मुनि अनगार, प्यारो स्वामिया हो । अब ऐसे गुरु पर चंवर दुराय, प्यारो स्वामिया हो | अब ऐसे गुरु पर छत तनाव, प्यारो स्वामिया हो || अब ऐसो समय सदा नित होय, प्यारो स्वामिया हो || ऐसी गोट चली निर्वाण, प्यारो स्वामिया हो ॥ जासे आवागमन न होय, प्यारो स्वामिया हो ॥ अब गुरु देत मुकति परसाद, प्यारो स्वामिया हो । जैसा अरहन्त भगवान का द्रव्य, गुण, पर्याय है, वैसा मेरा द्रव्य - गुण है। मुझे पर्याय प्रगट नहीं हुई है। मेरे में शक्ति रूप है, भगवान में प्रगट हुई है। इस प्रकार अन्तर में जाकर अनन्त शक्ति से भरपूर अनुपम आत्म तत्त्व की ओर दृष्टि करें, तो चैतन्य तत्त्व प्रगट होता है।
SR No.009719
Book TitleMandir Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBasant Bramhachari
PublisherAkhil Bharatiya Taran Taran Jain Samaj
Publication Year
Total Pages147
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size1 MB
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