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________________ १. आरती तारण स्वामी जी की आरती तारण स्वामी की, कि जय जय जय जिनवाणी की ॥ टेक ॥ गले में समकित की माला, हृदय में भेद ज्ञान पाला ॥ धन्य वह मोक्षपंथ वाला, कि महिमामय शिवगामी की.. निसई सूखा सेमरखेड़ी, बजावें देव मधुर भेरी ॥ सुनो प्रभु विनय आज मेरी, कि श्री गुरूदेव नमामी की... मुझे इन कर्मों ने घेरा असाता दूर करो मेरा ॥ लगाना अब न प्रभु बेरा, विनय सुन अपने प्राणी की आरती चौदह ग्रन्थों की, कि जय जय जय निर्ग्रन्थों की ॥ कुंवर जय बोलो संतों की, बेतवा तीर नमामी की आरती करहुं नाथ तुमरी, आतमा सफल होय हमरी ॥ आरती पंच परमेष्ठी की, आरती जय जिनवाणी की सार निज आतम अनुभव का सार जयकुंवर सो नरभव का || यही परतीत धरुँ शुभरीत, चरण गुरुदेव नमामी की २. आरती श्री गुरुदेव की आरती श्री गुरुदेव तुम्हारी, देव तुम्हारी श्री गुरुदेव तुम्हारी ॥ टेक ॥ तारण तरण विरद के धारी, आरती श्री गुरुदेव तुम्हारी..... जन्म नगर पुष्पावती प्यारी, आरती श्री गुरुदेव तुम्हारी..... सेमरखेड़ी में दीक्षा धारी, आरती श्री गुरुदेव तुम्हारी..... निसई साधु समाधि तुम्हारी, आरती श्री गुरुदेव तुम्हारी... वेत्रवती सरिता के पारी, आरती श्री गुरुदेव तुम्हारी...... धन्य धन्य तुम अतिशय धारी, आरती श्री गुरुदेव तुम्हारी...... चौदह ग्रन्थ रचे सुखकारी, आरती श्री गुरुदेव तुम्हारी.. भविजन गण के तुम हितकारी, आरती श्री गुरुदेव तुम्हारी..... तुम गुरुदेव भवोदधि तारी, आरती श्री गुरुदेव तुम्हारी..... जय जय परम धर्म दातारी, आरती श्री गुरुदेव तुम्हारी..... विनय करैं श्रावक पद धारी, आरती श्री गुरुदेव तुम्हारी...... ३. आरती ॐ जय आतम देवा အ जय आतम देवा, प्रभु शुद्धातम देवा ॥ तुम्हरे मनन करे से निशदिन, मिटते दुःख छेवा ॥ टेक ॥ अगम अगोचर परम ब्रह्म तुम, शिवपुर के वासी ॥ शुद्ध बुद्ध हो नित्य निरंजन, शाश्वत अविनाशी ॥ ॐ जय......... १११
SR No.009719
Book TitleMandir Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBasant Bramhachari
PublisherAkhil Bharatiya Taran Taran Jain Samaj
Publication Year
Total Pages147
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size1 MB
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