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________________ प्रथमोन्मेषः वाली ( है ), जिसके ) नेत्र अत्यधिक बहाये गए आँसुओं से कलुषित (हो गए हैं ), ( जिसका ) अघर ( अत्यन्त उष्ण ) निःश्वासों के कारण मुरझा गया है, (जिसकी ) संयत केशों की लता खुल जाने के कारण व्यस्त ( हो गई है ) और ( जिसका ) चित्त निर्वेद ( दुःख ) के कारण शून्य ( सा हो गया है, ऐसी वह मेरी प्यारी ) बच्ची हाय ( अपने अभिलषित वर वत्सराज उदयन के साथ विवाहित न की जाती हुई, इन ) ( केवल) दुर्नीति को जानने वाले कुत्सित मन्त्रियों के द्वारा बहुत ही ज्यादा सताई जा रही है ॥ ११३ ॥ टिप्पणी-सुकुमार मार्ग का लावण्य, 'शब्द और अर्थ के सौकुमार्य से मनोहर सङ्घटना की 'महिमा' को कहते हैं, जिससे पदों एवं वर्णों की शोभा अत्यधिक क्लेश से सम्पादित नहीं होती।' एवं विचित्र मार्ग का लावण्य परस्पर संश्लिष्ट पदों वाला होता है जिनके अन्त अधिकतर सविसर्ग होते हैं एवं संयोग के पूर्व का वर्ण लघु होता है। उक्त उदाहरण में दोनों लक्षण घटित होते हैं अतः यह मध्यम मार्ग के लावण्य गुण के उदाहरण रूप में उद्धृत हुआ है । अर्थात् यहाँ वर्णों एवं पदों का विन्यास शब्द और अर्थ की रमणीयता से युक्त है। उनका प्रयोग बहुत क्लेश के साथ नहीं किया गया है। साथ ही 'अधकरः', 'मन', एवं 'वेदिभिः' पद सविसर्गान्त हैं। तथा 'संक्रान्त' 'पर्व', 'करस्वापा' 'कपोल स्थली' निर्भरमूक्त' 'बद्धो' एवं 'कष्टम्' आदि पदों में संयोग के पूर्व आये हुए स, प, र मादि वर्ण हस्व हैं। आभिजात्यस्य यथाआलम्ब्य लम्बाः सरसाप्रवल्लीः पिबन्ति यस्य स्तनभारनम्राः । स्रोतश्च्युतं शीकरकूणिताक्ष्यो मन्दाकिनीनिझरमश्वमुख्यः ।। ११४ ।। ( अब लावण्य गुण के अनन्तर मध्यम मार्ग के चतुर्थ गुण ) आभिजात्य का ( उदाहरण ) जैसे ( विशाल ) कुचों के बोझ से झुकी हुई एवं ( वायु से उडाये गए ) जलकणों ( के फुहारों के पड़ने ) से अर्धनिमीषित नयनों वाली घोड़ी के सदृश मूखों वाली ( किन्नरवधुयें जिसकी ) लम्बी एवं हरे हरे अग्रभागों से युक्त लताओं का सहारा लेकर, स्रोतों से गिरते हुए गंगा के जलप्रवाह का पान करती हैं । ११४ ।। टिप्पणी-सुकुमार मार्ग का आभिजात्य, सुनने में मनोहर एवं स्वभावतः कोमलकान्तियुक्त होता है। एवं विचित्र मार्ग का आभिजात्य
SR No.009709
Book TitleVakrokti Jivitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRadhyshyam Mishr
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year
Total Pages522
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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