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________________ ( १५ ) का रचनाकाल स्वीकार किया है। जैसा कि पीछे उल्लेख किया जा चुका है। सियाडोनी शिलालेख के अनुसार निश्चित रूप से 'महीपाल' गद्दी पर बैठ गया होगा और इस तरह 'बालभारत' का रचनाकाल ९१५ ई. के आसपास मान लेने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इसके बाद यदि दो-दो वर्ष के व्यवधान से भी एक-एक प्रन्थ का रचनाकाल निर्धारित किया जाय तो काव्यमीमांसा का रचनाकाल ९२० ई. के आस-पास होगा। और इस ढंग से यदि कुन्तक का कृतित्वकाल उनकी २५ वर्ष की अवस्था के बाद ९५० के बाद से भी माना जाय तो ४०-५० वर्षों में बालरामायणदि का अत्यधिक प्रसिद्ध हो जाना असम्भव नहीं। अतः कुन्तक का कृतित्वकाल दशम शताब्दी के उतरार्द्ध का प्रारम्भ मानना ही उचित है। जो कि अभिनव कृतित्वकाल से भी सामञ्जस्य रखता है। २५ या ३० वर्षों में 'वक्रोक्तिजीवित' का सहृदय-समाज में प्रसिद्ध हो जाना असम्भव नहीं। ग्रन्थ का प्रतिपाद्य वर्तमान समय में जो वक्रोक्तिजीवित उपलब्ध है उनमें चार उन्मेष हैं। इन चार उन्मेषों में भी चतुर्थ उन्मेष असमाप्त है जैसा कि पाण्डुलिपि के विषय . में डॉ. डे ने निर्देश किया है "There is no Colophon to this chapter but the scribe marks-असमाप्तोऽयं ग्रन्थः" v.j.p. 246 . परन्तु प्रन्थ के विवेच्य विषय पर ध्यान देने से यह अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है कि प्रन्थ या तो समाप्त ही है अथवा दो-तीन कारिकायें और भी अवशिष्ट हैं, इससे अधिक नहीं। डॉ० डे ने जो पं० रामकृष्ण कवि द्वारा संकेतित अध्यापक जी के पास पाँच उन्मेषों के वक्रोक्तिजीवित की चर्चा (३० जी० भूमिका पृ० ६ ) की है वह सत्य से कोसों दूर जान पड़ती है । अतः प्राप्त प्रन्थ के आधार पर जो क्रम से विवेचन प्रस्तुत किया जा सकता है उसे हम प्रस्तुत करेंगे। वर्तमान वक्रोक्तिजीवित के तीन भाग मिलते हैं--१ कारिकाभाग, २. वृत्तिभाग, ३. उदाहरणभाग । सम्भवतः कुन्तक ने पहले कारिकाएँ लिख कर उनको व्याख्या, उन पर धृत्ति और उदाहरण प्रस्तुत किए हैं। . I would place the works of Rajasekhara chronologically as follows-1. The Balaramayana, 2. The Balabhārata, 3. The Kavyamanjari, 4. The viddhasalabhanjika" and 5. The Kavyamimamsa. -Studies in Indology, vol I. p.
SR No.009709
Book TitleVakrokti Jivitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRadhyshyam Mishr
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year
Total Pages522
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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