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________________ १६६ जैनधर्म की कहानियाँ इसतरह नाना प्रकार से प्रभु की स्तुति करके अपने को कृतार्थ मानते हुए सभी देवतागण अपने स्थान पर बैठ गये। पश्चात् इस पृथ्वी से पाँच हजार धनुष ऊपर आकाश में स्थित गंधकुटी में अंतरीक्ष विराजमान श्री जम्बूस्वामी जिनेन्द्र की दिव्यध्वनि खिरी, जिसे पीकर भव्यजीवों ने सम्यग्दर्शन, श्रावकव्रत तथा मुनिव्रत आदि का ग्रहण किया। इसतरह जम्बूस्वामी भगवान मगध से लेकर अन्य अनेक देशों में अठारह वर्षों तक विहार तथा धर्मामृत की वर्षा करते हुए मथुरा पहुँचे। ___अनन्तच तुष्टयवंत प्रभु शैलेश्वर विभु अब आवर्जित करण (मोक्ष की तैयारी) के द्वारा योग-निरोध करके, पाँच ह्रस्व अक्षरों के उच्चारण के समय तक अयोगदशा में वर्तकर अशरीरी सिद्ध भगवान बन गये। अब तो वे सादि-अनंत सुख के भोक्ता हो गये, अनंत अव्याबाध अनुपम अतीन्द्रिय आनंद से सरावोर हो गये। उनका उपयोग अब आत्मिक शाश्वत आनंद के नंदनवन में विचरण करने लगा। अहो...! पुण्यशालियों का भाग्य कोई अद्भुत रूप से फल रहा है। श्री वीर प्रभु का निर्वाण हुआ तो श्री गौतम स्वामी को केवलज्ञान हुआ, श्री गौतमस्वामी का निर्वाण हुआ तो श्री सुधर्मस्वामी को केवलज्ञान हुआ और श्री सुधर्मप्रभु का निर्वाण हुआ तो भी जम्बूस्वामी को केवलज्ञान प्राप्त हुआ। और फिर जब श्री जम्बूस्वामी का निर्वाण हुआ तो उसके बाद अनुबद्ध केवली तो नहीं हुए, परन्तु कुछ समय के बाद श्रीधर मुनिराज को केवलज्ञान प्राप्त हुआ है। उनके बाद इस कर्मभूमि में केवलज्ञान लक्ष्मी का विरह पड़ गया। धन्य काल और धन्य घड़ी! एक ही दिन में सुबह निर्वाण-भक्ति तो दोपहर में केवलज्ञान-भक्ति! उस काल की छटा, जीवों के भाव, उनका वैरागी रस का सुधापान! अरे अलौकिक ! अलौकिक !! १. श्री जम्बूस्वामी चरित्र बड़े ग्रन्थ में प्राकृत गाथा एवं हिन्दी में 'विपुलगिरि से मोक्ष पधारे' - ऐसा पाठ है और श्री राजमलजी कृत जम्बूस्वामी चरित्र में 'विपुलाचल से मोक्ष पधारे', लिखा है, परंतु 'मथुरा से मोक्ष गये' . ये दोनों ही ग्रन्थों में नहीं लिखा, न ही निर्वाण की तिथि ही लिखी है। हो सकता है मथुरा के नजदीक में कोई पर्वत हो और जिसका नाम विपुलगिरि हो।
SR No.009700
Book TitleJambuswami Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimla Jain
PublisherAkhil Bharatiya Jain Yuva Federation
Publication Year1995
Total Pages186
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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