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________________ दीपालिकाकल्पः ॥] [१२५ ईक्कारसओ गणहरा समणो चउद्दससहस्स समणीओ । छत्तीसं च सहस्सा सड्ढा गुणसट्ठीसहस्सइगलक्खं ॥२३॥ तियलक्खअट्ठारसहस्सा सड्डीओ जिणवरस्स वीरस्स । अह संत्तो सामी मज्झिमपावाए नयरीए ॥२४॥ तत्थंतिमचउमासं नाउं निव्वाणगमणसमयं च । धम्मं कहेइ सययं सोलसपहरे सयं नाहो ॥२५।। अह पुण्णपालराया नमिऊण जिणं च विण्णवइ एवं । सामी सुमिणा दिठ्ठा अट्ठमए अज्ज निसिसेसे ।।२६।। गय १ कवि २ खीरढुम ३ काग ४ सींह ५ कमलाणि ६ बीअं ७ । कुंभो य तोएआणं ८ साहसु फलं जओ ताह भीओ मि ॥२७॥ अह भणइ जिणो नरवर ! आओ वरं गयसमा वि होऊणं । अप्पसुहेसु गिहेसु लुद्धा होऊंति सड्ढजणा ॥२८॥ न गिहस्संति पव्वज्जं दलिद्ददुब्भिक्खदुक्खतत्ता वि । पालिस्संति कहिं चिय विमला पुण संजमं विउलं ॥२९।। मुणिमो वि कविसमाणा चंचलपरिणामहीणगुत्ता य । गच्छरहिया वि पायं पमायबहुला भविस्संति ॥३०॥ धम्मट्ठिआण इयराण तो ते काहिंति मइविवज्जासं । दाहिति जे असिक्खं ताणं वि हु ते हसिस्संति ॥३१॥ 10 15 १. [इंदभूति १, अग्निभूति २, वायुभूति ३, व्यक्त ४, सुधर्म ५, मंडित ६, मौर्यपुत्र ७, अकंपित ८, अचलभ्राता ९, मेतार्य १०, प्रभास ११, गणधर हुए] २. [अस्थिग्राम-१, चंपानगरी-३, वाणिज्यग्रामविशालानगरी-१२, राजगृहीनगरीना नालंदानामे मोहलाने विषे-१४, मिथिलागामे-६, भद्रिकानगरीमे-२, आलंभकानगरी-१ अनार्यक्षेत्र-१, सावत्थीनयरी-१, अपापानगरीमे-१, सर्व ४२ चोमास हुए-६] ३. [जीर्णमकानमे हस्ती (१) वानरने चपलाई करता देख्या (२) क्षीरवृक्ष कांटा से वीट्यो देख्यो (३) काक सरोवर जल छोडके स्तोक जलमें क्रीडा करता देख्या (४) मृतक सिंह के कलेवरकुं अन्य जीव पराभव न करे (५) कमल कजोडा में उगा देख्या (६) उखरक्षेत्रमें बीज वाया सो उगा देख्या (७) कंचन कलश मलीन देख्या (८) ए आठ स्वप्ना दीठा] D:\chandan/new/kalp-1/pm5\3rd proof
SR No.009693
Book TitleDipalika Kalpa Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanbalashreeji
PublisherBhadrankar Prakashan
Publication Year2011
Total Pages304
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size2 MB
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