SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 74
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्राचीनजैनलेखसंग्रह। ___चोथा वर्षनो हेवाल तुटी गयो छे अने संबंध पण बेसतो नथी. एटलं तो जाणी शकाय छे के धर्मकूट टेकरी उपर- एक जुर्नु चैत्य तेणे समराव्यु अने तेमां छत्र तथा कलशो आणी आप्या अने तेनी पूजा करी.' ते कहे छे के राष्ट्रीक अने भोजक, तेना खंडीआ राजा ओमांना त्रिरत्नमां श्रद्धा उत्पन्न करवा माटे. तेणे आ प्रमाणे कर्यु हतुं. __पांच, वर्ष दाननुं छे. आ वर्षमां तेणे नन्दराजनो त्रिवार्षिक सत्र पुनः शरु कर्यो अने पाणीनी सवड कर्यानुं देखाय छे. (Water Works Scheme.) पण आ भाग भांगी गयो छे तेथी अर्थ शंकायुक्त छे. छठ्ठा वर्षनो अहेवाल घणो खरो जतो रह्यो छे पण आ वर्षमा तेणे लोकोपयोगी लाखो कामो कर्यानुं जणाय छे. सातमा वर्षनो हेवाल बधो जतो रह्यो छे. जे आठमा वर्षनो हेवाल छे ते ऐतिहासिक दृष्टीथी घणो उपयोगी छे. परंतु तेनो एक भाग जतो रह्यो छे ए शोकनी वात छे. आ वर्षमा एक राजा जेणे बीजा राजाने मारी नांख्यो हतो अने जे राजगृहन राजाने दुःख आपतो हतो, ते खारवेलना पाछळ पडवाथी तथा खारवेलना लष्करना मोटा अवाजथी मधुरामां नासी गयानुं कहेवामां आव्युं छे. आ राजाओ कोण हता ते भांगेला भागमां जतुं रडुं छे, १ आ लेखमां आथी कांइ वधारे होय तेम लागे छे. (जोके स्पष्ट नथी क रणके ए भाग केटलीक जग्याए खंडित थएलो छे.) ते ए छे के कलिंगना पहे लांना राजाओने आ चैत्य साथे कोई जातनो संबंध इतो. "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009685
Book TitlePrachin Jain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1917
Total Pages124
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy