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________________ २२ दान कर्यु, तळावो खोदाव्यां अने आवाज बीजां जनहितनां कामो करीने लोकोनो मानीतो थयो प्रीन्सेपना मत प्रमाणे ए लेख ई. स. पूर्वे २०० वर्षथी जुनो नथी. ' कॉरपस इन्स्क्रीप्श्योनम् इंडीकेरम् ( Corpus Inscriptionum Indicarum ) ना कर्ता प्रीन्सेपना मतने मळे छे अने धारे छे के ए लेख अशोकना लेखोथी जुनो नहीं होई ई. स. पूर्वे बीजा सैकाना छल्ला पचीस वर्षमां थएलो छे. 'कारण के कोईपण अक्षर उपर माथु के मात्र दोरेला नथी. ' परंतु डाक्टर मित्र ए लेखने ई. स. पूर्वे ४१६ ने ३१६ नी बच्चेनो गणे छे. तेमनो निर्णय ई. स. पूर्वे ४१६ थी ३१६ सुषी राज्य करनार नव नन्दोमांथी एक नंदराजा उपर आधार राखे छे. जे भागमां (लौटी ६ ) नंदो विषे कहेवामां आव्युं छे ते भागनुं भाषांतर हुं नीचे आपुं छु: " रत्नो—बधी सामग्री ते देवने आपे छे. त्यारबाद दान - करवानी इच्छा थवार्थी-नन्द राजानां नाश करेला सो महेलो, अने तेने पण काढी मुकेलो, अने विजयनादी जे कांई हतुं ते सर्व लूटने उपर कर्त्तुं ते प्रमाणे दानमां वापरी दीधी. * गुहा बौद्धनी छे. कारण श्रीन्सेप अने मित्रना मतप्रमाणे आ के एना लेखमां बौद्धनां चिन्हो नजरे पडे छे. परंतु डाक्टर भगवानलाल इंद्रजीए ते जैननी छे एम पूरवार कर्तुं छे अने ते खारवेलनी बनावेली छे एम कहुं छे. आ लेखनी छेल्ली अगर १७ मी लीटीमां खाखेनुं नाम आवे छे. भगवानलालना मत प्रमाणे आ लेखनी मिति मौर्यसन १६५ अगर ई. स. पूर्वे १५७+ छे. मौर्यसन ई. स. पूर्वे * जे. ए. एस. बी. पु. ६० + Actes du Sixieme Congres or, 174-177. "Aho Shrut Gyanam" tome iii. pp.
SR No.009685
Book TitlePrachin Jain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1917
Total Pages124
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size4 MB
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