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________________ तेमां एक म्होटो लेख छे, जेमां कलिंगना एक राजार्नु स्ववृत्तांत लखेलं छे. डाक्टर भगवानलालना वांच्या पहेलां आ लेख हिंदुस्तानमा जुनामां जुनो गणातो अने जो के हाल ते प्रमाणे मनातुं नथी तो पण आ गुहानी उपयोगिता जरापण ओछी थइ नथी. एने प्रथम शोधी काढनार मी. ए. स्टलींग हता. अने कर्नल मेकेन्झीनी मददी १८२० मा तेनी नकल लीघी अन पोताना घणा उपयोगी लेख “ एन एकाउन्ट, जोसोफीकल, स्टेटीस्टीकल, एन्ड होस्टोरीकल ऑफ ओरिस्सा प्रोपर, और कटक" ( An Account Geogrophical, Statistical, and Historical of Orissa Proper or Cattack ) साथे एशीयाटीक रीसर्चीस ( Asiatic Researches ) पु. १५ मां १८२४ मां भाषांतर विना प्रकाशित कों. मी. स्टींग आ लेख वांचवाने अशक्तिमान हतो अने तेथी ग्रीक अक्षरो साथे तेना अक्षरोनी सरंखामणी, तथा हिंदुस्तानना जुदा जुदा भागोना लेखोमांना अक्षरो साथे मेळववा शिवाय ते काइ करी शके तेम नहोतो. १८३७ मां 'जर्नल ऑफ पी एशियाटीक सोसायटी ' पु. ६ मां लेफटेनन्ट कीटोनी नकल उपरथी जेम्स प्रीन्सेपे भाषांतर तथा नकल सहित आ लेख प्रकाशित कयों छे. तेमना करेला भाषांतर उपरथी अहीना विद्वानोनुं ध्यान ते तरफ खेंचायु. डाक्टर राजेन्द्रलाले ते लेख पुनः तपासी जोयो अने १८८० मां केटलाक फेरफारोसह 'एन्टीक्वीटीझ ओफ ओरिस्सा' पु. २ मां प्रकाशित को. श्रीन्सेप तथा मित्रनो मत एवो छ के ए लेख कलिंगना राजा भैरनो हतो, जे राजा मूळ राज्य पचावी पख्यो हतो अने जेणे घj "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009685
Book TitlePrachin Jain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1917
Total Pages124
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size4 MB
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