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________________ जैन धातु प्रतिमा लेख ] [७१ ठाकर नामना भ्रातृ शा. पण्यपाल मां नाकर स्वभार्या गमतादे सुत लालजी वीरजी प्रमुखकुटुम्बयुतेन स्वश्रेयसे श्री शं (? सं) भवनाथ बिम्बम् कारितम् प्र० श्री तपागच्छ महानृपप्रतिबोधक भ० श्री हीरविजयसरि तत्त्पट्टे प्रभावक सुविहित भ० श्री विजयसेनसूरिभिः श्राचार्य श्री विजयदेवसरि उपाध्याय श्री कल्याणविजय गणि प्रमुख परिवृत्तः ॥ परिकर बड़ा सुन्दर और सापेक्षतः शताब्दी की दृष्टि से सर्वथा भित्र है। ३२० __ संवत् १६६० व वै शु १३ दि. श्रीश्रीमालज्ञातीय स वछा तद भा० श्री रतनबाई श्री कंथुनाथ बि० का० प्रति तपा भ० श्रीविजयसेन सूरि प्रे नयविजय “भादक । ३२१ संवत् १६६२ वर्षे फागुण वदि २ शुक्र श्री अहिम्मदाबाद मध्ये उसवंशज्ञातीय वृद्धशाखायां सोना भार्या बा० मूली तत्पुत्र भ । कमलसी भा० बा० कमलादे तत्पुत्र भ० खंपी भा० बा० पु० भागिणी प. कीकाकेन भा० अष्ट पुत्रादि सहितेन श्री ७ धर्मनाथ बिम्बं कारित कर्मक्षयार्थ साह श्री कडूमा निसमबाई श्रीविकेन, प्रतिष्ठितं शुभंभवतु । चीरं जीयात् । कल्याण मस्तु !! ३२२ सं० १६७८ वर्षे फगुण शुदि , शनर (शौ) श्रीपत्तन वास्तव्य श्रीउसवालज्ञातीय वृद्धशाषे (खे) सोनी वद्याधर भा? बा. मनी सुत सो०-रामजी कापितं भ० बा० अजाई श्री तपागच्छे भट्टारक श्री विजयसेन सूरि पट्टा कार श्री विजयदेवसूरिभिः। ईडर नगरे प्रतिष्ठितं ।। ३२० पाश्वनाथ जैन मंदिर भद्रावती म०प्र० ३२१ खरतरगलीय बड़ा मन्दिर तुलापट्टी कलकत्ता ३२२ खतरगच्छीय बड़ा जैनमन्दिर तुलापट्टी कताकत्ता "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009681
Book TitleJain Dhatu Pratima Lekh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKantisagar
PublisherJindattsuri Gyanbhandar
Publication Year1950
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size4 MB
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