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________________ जैन-धातु प्रतिमा लेख (११६) संवत् १५०६ वर्षे श्राषाढ़ शुदि १० रवी श्रीमालज्ञातीय श्रेष्टिराधव भार्या रत्नादे सांपू सुत जेसा सा० परसा लिगदला भायो परमादे सुत पुना भाईया राजा, तेजा स्वपूर्विपितृमातृपितृव्यभ्रातपुत्र श्रेयोर्य श्रीआदिनाथविंग कारितं आगमगच्छे श्रीशीलरत्नसीणामुपदेशेन प्रतिष्ठित श्रीसूरिभिः । वडालबी वास्तव्यः । (१५७) संवत् १५०६ माघ सुदि ५ गुरौ दंडाहिदेशे आजउलीग्रामे श्रीश्रीमाल ज्ञातीय श्रे झीला सुत श्रे० कडुया भा० डाहो सुत श्रे वेला श्रे० लाला लघुभ्राता श्रे० पो...केन भार्या तेजुयुतेन...श्रेयसे श्रीपद्मप्रभबिम्ठी का० प्र० वृहत्तपापक्षे रत्नसिंहसरिमिः ॥ . (११८) संवत् १५०६ (वर्षे ) माघ सुदि ५ प्राग्वाटज्ञातीय श्रे० आका भार्या धरणू सुत स० कर्मणेन भा० सं० कर्मदेव्यादिकुटुम्बयुतेन निजश्रेयार्थ श्रीश्रीमुनिसुवृतबिम्ब का० प्र० तपागच्छेश श्रीसोमसुंदरिसर शिष्य रत्नशेखरसूरिभिः। (११६) संवत् १५०० माघ उकेश नरपति भा० हेमाई पु० को० पुनरत्न भा० को गना मातृ जाय सा वीरपाल भा० वाळू पुजे जाई नाम्न्या पु. हेमाई युतया श्र मुनिसुवृतबिम्ब कारितं प्रतिष्ठितं तपा श्रीसोमसुंदरसरि शिष्यरत्न श्रीरत्नशेखरसरिभिः ॥ वेदूर वास्तव्य ।। श्री ॥ ११६. दिगंबर जैनमन्दिर सिन्दी (वर्धा) १५७. महावीरस्वामी जैनमन्दिर पायधुनि बबई २१८. चिन्तामणि पार्श्वनाथमन्दिर गुलालबाड़ी बंबई ११६. जैनमन्दिर घोटी ( नासिक) "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009681
Book TitleJain Dhatu Pratima Lekh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKantisagar
PublisherJindattsuri Gyanbhandar
Publication Year1950
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size4 MB
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