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________________ जैम धातु प्रतिमा लेख ] ३५४ सम्वत १८६३ माघ सुदि १० वार बुध राजनगरवास्तव्य उसवाल ज्ञातीय वृद्धशाखायां शेठ भगुभाई पुण्यार्थं श्रीसिद्धचकपट्ट: कारापित भट्टारक श्रीशांतिसागरसूरिभिः प्रतिष्ठितं श्रीसागरगच्छे पण्डित प्रमोदविजयगणि [ ३५५ संवत १८६७ फा० शु० ५ काश्यां श्री ऋषभदेवबिम्बं प्र० । श्रीजिनमहेन्द्रसूरिभिः । बुधोत्तम श्रीकुशलचन्द्रगण्युपदेशेन कारितं श्रीमाल गडरिया गोत्रीयबहादुरसिंहात्मज चुम्नीदासेन । ३५६ श्री सागरांक वसुचन्द्र वर्ष के १८६७ नेत्रपगधरायुते शके १७६२ फाल्गुन त्रिमदसे सुतागते मार्ग वै० सितपयैधयालंके ॥ १ ॥ वाराणस्थां श्रीमद्भगवत् सहस्त्रकरणालंकृत श्रीपार्श्वनाथजिनेन्द्रमूर्ति का० । से उदयचन्द्र धर्मपत्नि महाकुमराख्यया मूलचन्द्र सुतया बृहत्वरतरगणेश श्रीजिनहर्षसूरि पट्टालंकृत श्रीजिनमहेन्द्रसूरिणा प्रतिष्ठिता श्री हीरधर्म गणि विनेय ............ ३५७ सम्वत १६०२ आश्विन शुक्ल पूर्णिमास्यां १५ सिद्धचक्रमिदं श्रीश्रीमालज्ञातौ भीडीयागोत्रीय मु । देवीदासजी तत्पुत्र मुनीलाल तत् भगिनी सुतोभिधानतया बृहत्वरतरगच्छीय ज० पु० प्रा० भट्टार्क ( भट्टारक) श्रीजिननन्दीवद्ध नसूरिभिः मुनियोघराजाभिधानोपदेशात् ३५४ आदिनाथ जैनमन्दिर भायखला बम्बई । ३५५ सम्मेदशिखर मन्दिर मधुवन । ३५६ सम्मेदशिखर मन्दिर मधुवन । ३५७ खरतरगच्छीय बड़ा मन्दिर तुलापट्टी कलकत्ता | "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009681
Book TitleJain Dhatu Pratima Lekh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKantisagar
PublisherJindattsuri Gyanbhandar
Publication Year1950
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size4 MB
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