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________________ जैन भातु प्रतिमा लेख] [ . सम्वत १८३४ शाके १८ मासोत्तममासे ज्येष्ठमासे शुक्ल पक्षे ३ रवौ दिने श्रीमालीज्ञातीय श्राविका सुकदवहु श्रीसिद्धचक्र कारापितः श्रीवर्हानपुरे ॥ सम्वत १८४३ ईरै वे (१ वै) षाख सुदि ६ बुधे उसवाल ज्ञातीय पृद्धशाखायां प्र० श्रीफतेलालजी तत्पुत्र साह श्रीसाकरलाल जी बिम्बांधर्मनाथबिम्ब (कारित) श्री बृहत्खरतराचार्यगच्छे श्री रूपचन्दजी अस्थायी भट्टारक ज. श्रीजिनचन्द्रसूरिराज्ये । ३४६ ॥ पंडित क्षमाकल्याणगणि प्रणमंति ।। सम्वत १८४८ मिति माघ वदी ३ तिथौ श्री संघेन सम्मेदशिखर पार्श्ववर्तिमधुवनमंडनविहार श्रीअजितादिविशंतिजिनचरण न्यासा: कारिताः प्रतिष्ठिताश्च श्रीसूरिभिः ।। ३४७ सम्वत १८५२ का मासोत्तममासे वैशाख मासे शुक्ल पक्षे अवैरतिया दिने गुरुवारे उसवालज्ञातिय सिद्धचक्रयत्र' कारापितं पं० तिलोकसागर गरिए उपदेशात् प्र० पानकरै ।। सम्वत १८७५ मि० मार्गशीर्ष : तिथी रविवासरे श्रीजिनदत्तसूरिणाचरमपंकजादि ख० ग. जं० यु० प्र० भ. श्रीजिनहर्ष सूरिभिः प्रतिष्ठितं ।। ३४४ पार्श्वनाथ मन्दिर बालापुर । ३४५ तपागच्छ जैनमन्दिर बालापुर । ३४६ सम्मेदशिखर मन्दिर मधुवन । ३४७ जैनमंदिर शाहपुर। ३४८ सम्मेदशिखर मन्दिर मधुवन । "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009681
Book TitleJain Dhatu Pratima Lekh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKantisagar
PublisherJindattsuri Gyanbhandar
Publication Year1950
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size4 MB
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