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________________ जैन धातु प्रतिमा लेख ] [५ ३३५ संवत् १७६६ वर्षे वैषाख वदि १ गुरौ श्री सूरतिबिंदरवास्तव्यः श्रीश्रीमालीज्ञातीय वृद्धशाखीय पं० सुन्दरदासं तत्पुत्र सा० नागरदास भार्या उभय कु० कुलानन्ददायिनी बाई अगतबाई केन स्वद्रव्येण पुण्यार्थ श्रीसुमतिनाथबिम्ब कारापितम् प्रतिष्ठितम् च श्रीतपागच्छे जिनशासनोन्नतिकारक सकल भट्टारक पुरंदर श्रीआणंदविमलसूरि पट्टे श्रीविजययानसूरिपटटे जगतगुरु भ. श्री विजयदेवसूरि पट्टे आचार्य श्रीविजयसिंहसूरि भ० श्रीविजयप्रभसूरि पट्टे संविज्ञ पचे महारक श्री ज्ञानविमलसूरिभिः ३३६ सम्वत् १७८४ वर्षे फागुण सुदि ५. रवी स्तंमतीर्थवास्तव्यः अकेशबंछो संघवी जवराजीसुतासंथवी मंगल जी भा संघ बहुतयो श्री स्वयंप्रभ जिनबिम्ब कारितम् मोक्षमानाय तपागच्छ ...भ.... सौभाग्यसागरसूरिभिः ।। श्रीरस्तु ।। ३३७ सम्वत् १७८५ वर्षे माह पदि ५ शुक्र श्रीअंचलगच्छे पूज्य श्रीविद्यासागरसूरीणामुपदेशेन श्रीश्रीमाल ज्ञातीय परिख प्रतापसी सुत पाता गवाछदासेन श्रीधर्मनाथ बिम्नं प्रतिष्ठापितं श्रीयभवतु । संवत १७८८ पोष वदि १ रवौ सूर्यपुरेवा चस्य'... रायसी खम्पा बाई - 'उकारितं प्र.... 'ल्याण सागरसरिभिः ३३५ महावीर जैनविद्यालय देरासर बम्बई ! ३३६ जैन मन्दिर घोटी नासिक । ३३७ खरतरगच्छीय बड़ा जैन मन्दिर तुलापट्टी कलकत्ता । ३३८ शांतिनाथ जैन मन्दिर दादर बम्बई । "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009681
Book TitleJain Dhatu Pratima Lekh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKantisagar
PublisherJindattsuri Gyanbhandar
Publication Year1950
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size4 MB
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