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________________ [ ] श्री जिनवान सूरि कृत लोद्रवपुर स्तवन [दाल - रसीयानो धन धन धुंनो पाटण खोपबौ, जुनौ तोरथ जयकार । सोनागो पंचानुत्तर नमुनो प्रगटियो, मानव लोक मकार ॥ सो धन० १ चैत्य विराजे च्यार चिहुं दिसे, विचमें मूल विहार । सोग समवसरण रचना तिहां, सोजती तिल का तोरण वार ॥ सो धन ५ मूलनायक प्रतिमा होइ मनहरू, श्री चिन्तामणि पास । सोग मस्तक सहस फणावलि मंडित, फल इस तेज प्रकाश ॥ सो धन०३ जेदवो अनुपम नाम चिंतामणी, अतिशय तेम उवार । सोग ध्यावै सैवै ते पामै सही, वंबित फल विस्तार ॥ सो० धन ४ यादव वंश विजूषण जिहां थया, सगर जिसा नरनाह । सो जगणीसमें पाटे तेहनें जयो, सकजो श्रीमल साह ॥ सो० धन ५ सलहीजै तेहने सुत थाहरु, नपशाली बड़ जाग । सो जिन ए जीर्णोद्धार करावीयौ, जन जग लीध सोनाग ॥ सो धन० ६ नगरां सिरहर नगर सोहामणौ, जयवंतो जी जेशाण । सो धन धन जयवंतो श्रीसंघ जिहां, जैन धरम विधि जाण ॥ सो० धन इण तीरथनी जगति किजे करे, सारे दिन र सेव । सो त्यांसुं सुप्रसन शासन देवता, सुप्रसन शासन देव ॥ सो० धन छ जेहवा समेतशिखर श्रष्टापद, विमलावल गिरनार । सो तण गिणती में ए {पण तेहवो, सहु तोरथ सिणगार ॥ सो धन०ए "Aho Shrut Gyanam
SR No.009680
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages374
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size20 MB
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