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________________ ( ३२ ) मोरमलजी ये तीन पुत्र थे । हमीरमलजी कोटे गोद गये । दीपवन्दजी के दो पुत्र सोभागमलजी और चांदमलजो * (१) थे । इन लोगों के कोई पुत्र नहीं रहने के कारण कोटे के केशरीसिंहजी रतलाम को गद्दी के भो मालिक हुए । सेठ चांदमलजी ने सं० १९६२ में बड़े धूमधाम से जैसलमेर में अट्ठाई महोत्सव किया था के उस समय यहां महारावल शालिवाहनजी गद्दी पर थे और वे स्वयं उत्सव में उपस्थित थे । चांदमलजी की भार्या फूलकुंवर बाई वर्त्तमान हैं और कलकत्ते में रहती हैं तथा रतलाम की सेठानी के नाम से परिचित हैं । [४] जोरावरमलजी (२,३,४ ) । इनकी भार्या का नाम चौथा * ( ४ ) था । इनके सुलतानमलजो और चांदमलजी * ( ४ ) दो पुल थे। सुलतानमलजी के दो पुत्र गम्भीरमलजी और इन्दरमलजी ( ४ ) थे | गंभीरभलजी के पुत्र सरदारमलजी * (१) थे । इनके समोरमलजी गोद आये । इंदरमलजी के कुन्दणमलजी गोद आये और इनके भी कोई पुत्र नहीं रहने के कारण संगराम सिंहजो गोद आये । जोरावरमलजी के द्वितीय पुत्र चानणमलजी के जुहारमलजी और छोगमलजी ये दो पुत्र थे । जुहारमलजी के एक मात्र कन्या थीं जिनका विवाह जावरा हुआ था | छोगमलजी के चार पुत्र छगनमलजो, सिरेमलजो, देवीलालजो, खगराम सिंहजी हैं । स्वनाम ख्यात सिरेमलजों के विषय में ऊपर लिखा गया है। कनिष्ठ संगरामसिंहजी कुणमलजी के गोद गये हैं । छगनमलजी के धनरूपमलजी और सावतमलजी दो पुत्र हैं। सिरमलजी के कल्याणमलजी और परताप सिंहजी ये दो पुत्र और दो कन्यायें हैं । कल्याणमलजी के जसवंत सिंहजी और धमकमलजी नामके दो पुत्र हैं । [५] परतापयन्दजी * (१३.५ ) । इनको भार्या माना थीं। इनके हिम्मतरामजो, जेठमलजी, नथमलजो * (१,४,५ ) सागरमलजी और उमेदमलजी * (१,५ ) ये पांच पुत्र थे । हिम्मतरामजो के जीवणलालजी ( ४ ) ऋषभदाजो, चिन्तामणदासजो, और भगवानदासजी * (१) ये चार पुत्र थे । विन्तामणदासजी के कन्हैयालालजो * (१) और धनपतलालजी नाम के दो पुत्र हैं । परतापचन्दजो के द्वितीय पुत्र जेठमलजी के दो पुत्र मूलचन्दजी ( १,४ ) और सगतमलजी (१) हैं। परनापचदजो के ३५ पुत्र नथमलजी के पुत्र केशरीमलजी # (१) 悲 थे। इनके दो पुत्र लूणकरणजी (१) और बेमकरणजी हैं। परतापचन्दजी के चतुर्थ पुत्र सागरमलजी के दो पुत्र बागमलजी और सांगोदासजी (१) नामके थे। जिनमें सांगीदासजो अपने काकाजो के गोद गये हैं । परताप चन्दजी के पंचम पुत्र उमेदमलजी भातच्युत सांगोदासजो को गोद लिये हैं और इनके आईदानजी नामक पुत्र हैं । ( ६-७ ) सेठ गुमानचन्दजी के नू और बीजू * ( ४ ) नाम की दो कन्यायें थीं । ** ★ अमरसागर और सहर के घर देरासर वगैरह के जिन लेखों में इन लोगों का उल्लेख के नंबर इस प्रकार चिन्हित है :(२) लेख नं० २४६० (१) लेख नं० २५३१ (४) २५३० (५) २४५६ + वृद्धिरतमाला पृ० ५ 23 "Aho Shrut Gyanam" 35 मिला है उन लेखों (३) लेख नं० २५२४
SR No.009680
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages374
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size20 MB
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