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________________ [ १४ए ] (ए) टकर असवार २०० घरू और अंगरेजी जावतो चपरासी तिलंगा सोनेरी रूपैरी घोरेवाला जायगा २ परवाना बोला (५०) वा एवं पालख्यां हाथी ४ म्याना ५१ रथ १०० गाडियां 100 ऊंट १५०० इत तो संघव्यां रा घरु संघ री गाड्यां ऊंउ प्रमुख न्यारा (५१) सर्व खरचरा तेरेलाख रुपया लागा इति संघ री संक्षेप पणे प्रशस्ति ॥ और पिण ठिकाणे ५ धर्म रा काम करया सो संषेप (५३) लिखिय के श्रीधूलेबाजो रे मंदिर वारणे नोवत रवानो करायो गहणो चढायो ___ लाख एक सागा मगसीजी रे मंदिर रो जीर्णोद्धार का (५३) रायो उदेपुर में मंदिर ५ दादासाहिब री उतरी धर्मशाला कराई कोटा में मंदिर ५ धर्मशाला दादासाहिब री उतरी कराई (५४) जेसलमेरु में श्रमरसागर में बाग कगयो जिणमैं मंदिर करायो जयवंतो से उपासरो करायो बुबैजी में धर्मशा. (५५) ला कराई गढ माथे जमी मंदिरां वास्ते लीवी बीकानेर में दादासाहिब री बतरी कराई इत्यादिक ठिकाणे ५ धर्मरा था. (५६) होगंण कराया श्रीपूज्यजो रा चौमासा जायगा १ कराया पुस्तकां रा जंडार कराया नगवतीजी प्रमुख सुण्या प्र(५७) श्न दीठ २ मोती धस्यो कोठी में दोय लाख रुपया देनें बंदीखानो बुढायो बीज पांचम उम ग्यारस चढदसरा 38 "Aho Shrut Gyanam'
SR No.009680
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages374
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size20 MB
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