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________________ [१३] मात्त पर । २७०३ ........... [2510] श्रीश्रेयांसविंद [2520] पार्श्वनाथ बोटी सं० २००३.... पंचतार्थियों पर। [2521] ॐ ॥ सं० १५१५ वर्षे · · · श्री नकेशवंशे परिदिगोरे प० जयता जरमादे पुत्र प० डूंगरसिंहेन जाप प्रेमलदे पुत्र नगराज गांगा नयणा नरपान सहितेन स्वश्रेयसे श्री. सुविधिजिनबिंबं का० प्र० श्रीखरतरगन्छे श्रीजिनचन्छसूरिनिः । [2522] ॥ सं० १५३५ वर्षे वैशाष वदि ५ सोमे श्रीश्रीमाला० सं० वेलाउल ना वेड. लदे सु० सं० कर्पूणेन जा० नानू सु० सय सामल पोमादि कुंटुंबयुतेन सुत गहिला श्रेयसे श्रीधर्मनाथविंबं श्रीपूर्णिमापके श्रीगुणधीरसूरीणामुपदेशेन कारितं प्रतिष्ठितं च विधिना । जांधरीघ(?) ग्रामे ॥ [ 2523] संव० १५३६ वर्षे फागुण सु० ५ दिने उकेशवंशे गणधरचोपड़ागोत्रे सं० सच्चा जार्या श्रृंगारदे पुत्र सं० जिणदत्त सुश्रावकेण नार्या लषाई पुरा श्रमरा थावर पौण हीरादि परिवारयुतेन । श्रीशांतिनाथचिंबं का प्र० श्रीखरतरगम श्रीजिननमसूरिपट्टे श्रीजिनचंधसूरि निः ॥ श्री ॥ "Aho Shrut Gyanam'
SR No.009680
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages374
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size20 MB
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