SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 238
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [ ११३ 1 सपरिकरः कारितः प्रतिष्ठितं वृत्खरतरगञ्जाधीश्वर जंगमयुग ज० श्रीजिनमहेंद्रसूरिनिः रतलाम | [2461] सं० १५०८० वर्षे या० सुदिप सोमे । श्रीमालीज्ञा० मं० चांपा जा० जंगी पु० मु० जनाश्रेयसे श्रीपार्श्वनाथवित्रं कारितं सं० १७७२ वर्षे चैत्र [2462] • रगवते (?) गांदी सहसमल पंचतीर्थयों पर | [2463] || सं० १८१५ वर्षे आषाढ वदि २ शुक्रे उकेशवंशे परीक्षोत्रे पं० सारंग सुत पं० श्रजा जाय श्रामलदे पु० पं० पर्वत सुश्रावकेण युशस जगमाल परिवारसहि तेन श्रीमतिविं कारितं प्र० श्रीखरतरगच्छे श्रीजिननसूरिपहे श्रीजिनचंद्रसूरिनिः ॥ [2464] • जाय जायणा का ॥ संवत् १५३३ वर्षे कातिक सुदि जार्या वरजू सुत नागा जाय नागलदे ० श्रीधिराद्रागो (?) श्रीविजयसिंह सूरिपट्टे श्रीश्री शांतिसूरिजिः ॥ exte * सर्वधातु की सफण मूर्ति पर का यह लेख है। 29 गुरौ गौतम गोत्रे श्रीश्रीमालज्ञातीय पालड़ सुत सुंधा सहितेन श्रीशांतिनाथवित्रं का० "Aho Shrut Gyanam" ...
SR No.009680
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages374
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy