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________________ [ १०९] (३) ब्याणजी विजयराज्ये। श्रीखरतरवेगड़गछे । ज० श्रीजिनेश्वरसूरि (४) विजयराज्ये। बाजहड़गोत्रे । म अधरान्वये । मंत्री वेगड़। पुत्र मं० (५) सूरा। तत्पुत्र मंण् देवदत्त । पुत्र मंत्री गुणदत्त । तत्पुत्र मं० सुरजन । मंग (६) वकमा। धरमसी । रना । लषमसी। मंत्री सुरजन पुत्र । मंजीआदे (७) सू । जोया पुत्र मंत्रो पंचाइण। पुत्र मंग चांपसी । मंग उदयसिंह में (७) वांकुरसी । मंग टोडरमस । चांपसी पुत्र देवकर्ण । उदयसिंह पुत्र (ए) महिराज । प्र. राजा मंत्री टोडरमलेष पुत्र सोनपाल सहिते(१०) न उपासस द्वारं सुबट कारितं ॥ विस्जयतु । श्रीसंत्रस्य ॥ (११) ॥ सूत्रधार पांचाकेन कृतं ॥ अंशाणी ।। सेठ थीरूसाहजी का देरासर । मूर्तियों पर। [2448] संवत् १६१० वर्षे फागुण वदि दिने व्यः अदाकेन आस्मश्रेयोर्थ श्रीयादिनाथ बिवं कारित प्र० श्रीविजयदानसूरिभिः ॥ [24491 सं० १६३६ श्रीपार्श्वनाथ व श्रीबाई.... 28 "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009680
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages374
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size20 MB
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