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________________ [ १०६ ] शहर में 1 श्री विमलनाथजी का मंदिर | मूर्तियों पर । [2439 ] * ॥ संवत् १६६६ वर्षे पौष वदि ६ भृगुवासरे वृऊशाखायां ऊकेशज्ञातीय. का० प्र० च श्रीत० श्री विजयसेन श्री विमलनाथ *.*...... [2440] सं० १६१५ वर्षे वैशाख वदि ६ श्री ओसवंशे संखवालगोत्रे सा० राजा पुत्र पंचा येण श्रीपार्श्वनाथबिंबं का० खरतरगच्छे श्री ज्ञानचंद्रसूरिनिः [2441] + सं० २०३१ वर्षे माघ सुदि ९ बिंबं पदमावती पार्श्वनाथ सूरी जरी है । ******* *****24 "Aho Shrut Gyanam" श्रीवि देव "A पंचतीर्थयों पर | [2442] संवत् १५१३ वर्षे मार्गशीर्ष मासे ऊकेशवंशे चोपड़ागोत्रे सा० करमण सुत साक्ष जेसा जाय मदी पुत्र सा० खोखाकेन जार्या हरषू पुत्रपौत्रादिपरिवारसहितेन श्रीधर्मनाथत्रिवं कारितं प्र० श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनराजसूरिपट्टे श्री जिनजप्रसूरि जिः ॥ व ॥ * यह मंदिर श्रीआचार्यगच्छ के उपासरे में है और श्रीमूलनायकजी की पत्थर की मूर्त्ति पर यह लेख खुदा हुआ है। + देवी की मूर्ति पर यह लेख है।
SR No.009680
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages374
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size20 MB
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