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________________ [ ए४ ]. [2401 ] * (१) ॥ संव० १५३६ वर्षे फागुण सुदि ए जौमवासरे श्रीउपके ( २ ) शवंशे बाजहड़गोत्रे मंत्रि फलधरान्वये मं० जूनिल पुत्र मं० का( ३ ) लू जा० कम्र्म्मादे पु० नया जा० नामलदे तयोः पुत्र मं ( ४ ) सीदा जाया चोपड़ा सा० सा पुत्र सं० जिनदत्त जा० लषाई ( ५ ) पुत्र्या श्राविका अरव नाम्न्या पुत्र समधर समरा संडू सहि ( ६ ) तथा स्वपुण्यार्थं श्रीयादिदेव प्रथम पुत्ररत्न प्रथम चक्रवर्त्ति 1 ) श्रीजरतेश्वरस्य कायोत्सर्गस्थितस्य प्रतिमा कारिता प्रतिष्ठि (८) हा श्रीखरतरगष्ठमंडन श्री जिनदत्तसूरि श्री जिनकुशलसू(ए) (रिसंतानीय श्री जिनचंद्रसूरि पं० श्रीजिनेश्वरसूरिशाखायां । श्री ॥ (१०) जिनशेखरसूरिपट्टे श्री जिनधर्म्मसूरिपद्यालंकार श्री पूज्य ( ११ ) ( श्री जिनचंद्रसूरि निः ॥ श्रोः ॥ श्राविका सूरमदे कारा पिता ) [2402]+ ( १ ) सं० १५३६ फा० सु० ५ श्री ऊकेशवंशे ( २ ) वैदगोत्रे मं० सुरजण पुत्र मं० कला ( ३ ) केन जा० रत्तु पुण्यार्थं मु० शिवकर युते ( ४ ) न श्रीबाहूब लिमूर्त्तिः कायोत्सर्गस्था ( 4 ) कारिता प्रति० श्री जेसलमेरुडुर्गे गए * यह लेख दाहिने वर्ष विशाल मूर्ति के चरण चौकी पर खुदा हुआ है। + यह लेख बांई तर्फ श्रीबाहुबलजी की कायोत्सर्ग मुद्रा में खड़ी विशाल मूर्ति के वरणचौकी पर खुदा हुआ है। "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009680
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages374
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size20 MB
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