SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 214
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री ऋषभदेवजी का मंदिर। मूर्तियों पर। [2308 ] * सं० १५५१ माघ सु. १५ श .......... [ 2309 ] संवत् १५३६ फागु० सु० ५ दिने श्रीऊ केशवंशे गणधरगोत्रे संग सच्चा पुत्र सं० धन्ना जाए धारलदे पुत्र सं० झाषाकेन पुत्र रत्ना युतेन ला साउनदे पुण्यार्थ सुपार्श्व बिवं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीखर० गछे श्रीजिननप्रसूरिपट्टे श्रीजिनवंजसूरिनिः श्रीजिनसमुपसूरिनिः ॥ [2400] ॥ॐ ॥ संवत् १५३६ वर्षे फागुण सुदि ५ दिने श्रीऊकेशवंशे गणधरचोपड़ा. गोत्रे सा पासड नार्या प्रेमखदे पुत्र संप जीवंद सुश्रावकेण नार्या जीवादे पुत्र सा सद्धा धीरा। श्रांवा । हरषा प्रमुख परिवार सश्रोकेण श्रीमरुदेवा स्वामिनी मूर्तिः कारिता प्रनि० श्रीखरतरगछे श्रीजिनजप्रसूरिपट्टे श्रीजिनचंप्रसूरिनिः ॥ श्री. जेसलमेरु महामुर्गे ॥ श्रीदेवकर्ण विजयराज्ये ॥ * यह एक छोटी मूर्ति पर का लेख है । + पोले पाषाण को मूर्ति पर यह लेख है। के रंगमंडप के बाई तर्फ पोले पाषाण के हाथी पर धीमरूदेवी माता को हाथ जोड़े बैठी हुई मूर्ति के पीठ पर यह देख खुदा हुआ है। 24 "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009680
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages374
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy