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________________ ( ४३ ) श्रीमालवंशे फोफलिया गोत्रीय चुनीलाल तत् पुत्र हीरालालेन श्री सिद्धचक्र यंत्र कारितं चारित्रउदय उपदेशात् प्र० ज० खरतरगष्ठीय श्री जिननन्दीवर्द्धन सूरिजिः पूजकानां ती नूयात् । *$$$== . आम्बेर । * श्री चन्द्रप्रन स्वामी का मंदिर । पंचतीर्थयों पर | [1229] सं० १३०० वर्षे पोष सुदि १२ सोमे श्री काष्ठासंघे सुमतिनाथ प्रतिष्ठितं । BEIensese [1230] सं० १५२५ वर्षे मार्गसिरि वदि १२ शुक्रे उपके० बावेल गोत्रे सा० यह पुत्र लोला जाय वामदे स्वश्रेयसे पितृमातृपुण्यार्थं श्री चंद्रप्रन बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्री मलधार ग श्री गुणसुन्दर सूरिभिः । * जयपुर शहरसे ५ मैल पर यह स्थान है और यहांका विशाल प्राचीन दुर्ग प्रसिद्ध हैं । सुत ताड़ श्रेयोर्थं श्री [1231] || सं० १५४२ वर्षे फागु० ० २ दिने सीतोरेचा गो० श्रस० सा० सूरा जा० सूरमादे yo परवत जा० सहजादे तथा परवत देलू समधर वीजा सहस जा० पगमलदे सहित जा० सहजा पुरयार्थं श्री संजवनाथ बिंबं का० प्र० श्री नायकीयगछे श्री धनेश्वर सूरिजिः ॥ ॥ "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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