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________________ ( ४१ ) नीव्हा जा० सोनी करमी सु० सा० हासकेन चातृ सा० नाऊ सा० षेठ दासा जार्या रतनी सु० सा० ठाकुर सा० ईलटला० ऊधादि प्रमुखयुतेन स्वश्रेयसे श्री अजितनाथ बिंबं का० प्रति० श्री वृदष्ठ श्री सूरिनिः प्रतिष्ठितं ॥ [1224 ] ॥ संवत् १५५५ वर्षे फागुण सुदि ए बुधे सीधुम गोत्रे उधरि गमपाल जा० गोरादे सुत वस्तुपाल चातृ पोमदत्त वस्तपाल जा० वल्हादे पुत्र त्रैलोक्यचंड श्रेयोर्थं श्री संजवनाथ बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं खरतरगच्छे ज० श्री जिनसमुद्र सूरिभिः ॥ 1225] संवत् १६२४ वर्षे वै० शुदि १ शुक्रवासरे तपगछे नायक ज० प्रज श्री हीरविजय सूरि मनराज श्री पद्मप्र बिंबं प्रतिष्ठितं प्रतिष्ठापितं नागपर गहिलड़ा गोत्र सा० श्रमीपाल to अमूलकदे पु० कूअरपाल जा० कुरादे प्रतिष्ठितं शुद्धं जवति ॥ धातु की मूर्ति पर । [1226] सं० २००७ माघ शुक्ल १३ बुधे श्री पार्श्वनाथ जिन बिंबं कारितं । प्र०वृ० त ० श्री जिनचन्द्र सूरिनिः । धातु के यंत्र पर । [1227 ] संवत् १८५६ वर्षे वैशाष मासे शुक्ल पक्ष तिथौ ३ बुधे श्री सिद्धचक यंत्र प्रतिष्ठितं ज० जिन सूरि पहालङ्कार श्री जिनचन्द्र सूरिनिः जयनगर वास्तव्य श्रीमालान्वये सीम गोत्रीय किसनचन्द्र तत्पुत्र उदयचंद्र सपरिकरेण कारितं स्वश्रेयोर्थं ॥ [1228] सं० १९०२ वर्षे आश्विन मासे शुक्के पदे पूर्णमासी तिथौ बुधे जयनगर वास्तव्य "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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