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________________ ( ३३ ) धातु की मूर्तियों पर । [ 1178] संवत् १६०१ वर्षे श्री व्यादिकरण बोटा बा० रंजा श्री श्रीमाली न्यात श्री धर्मनाथ श्री विजयदान सूरि | [11771 संवत् १५४४ वर्षे फागुण सुदि १ तिथौ बुधवासरे तपागच्छाधिराज जट्टारक श्री विजय प्र सूरि निदेशात् श्री पार्श्वनाथ बिंबं प्रतिष्ठितं बा० मुक्तिचन्द्र गणिनिः कारितः । धातु के यंत्र पर । [1178] सं० २०५२ पोस सुदि ४ वृहस्पतिवासरे श्री सिद्धचक यंत्र मिदम् प्रतिष्ठितं बा० लालचन्द्र गणिना कारितं सवाई जैनगर वास्तव्य से० वषतमल तत् पुत्र सुषलालेन श्रेयार्थं । ब । [1179] सं० २०५६ माघ मासे शुक्लपक्षे तिथौ ए गुरौ श्री सिद्धचक्र यंत्र प्र० श्रीमद् वृहत् खरतरगच्छे ज० श्री जिनचन्द्र सूरिजिः जयनगर वास्तव्य श्री मालान्वय फोफलिया गोत्रीय अनन्दरात त० षूवचन्द तत् पुत्र बहादुरसिंव सपरिकरेण कारितं स्वश्रेयोर्थं । श्री सुमतिनाथजी का मन्दिर । पञ्चतीर्थियों पर । [ 1180] संवत् १४०६ वर्षे ज्येष्ठ सुदि १३ सोमवासरे जाईलबाज पवित्र गोत्रे संघवी बील पुत्र सं० जेजा जि० जस ० वाइड सहितेन आत्मश्रेयसे श्री आदिनाथ बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्री धर्म्मघोषगछे श्री मही तिलक सूरिजिः ॥ **** "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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