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________________ ( ३३२ ) काषा जा० कांब श्री पु० सुवर्णपाल जाय सोमश्री पुत्र सा० लावा केन जा० प्रधकू पु० सदर सूरचंद्र हरिचंद्र युतेन स्वश्रेयसे श्री कुंथुनाथ चिंवं कारितं उपकेश ग० ककुदाचार्य संताने प्रतिष्ठितं श्री कक्क सूरिजि ॥ श्रीः ॥ : प्रतिमा पर । [1904 ] || सं० ११०१७ रा मिगसर सु० १० उसवाल मागा गोत्रे सा० विषमीदास जी जाय अनरुप दे पुत्र नाथजी अनरुप देजी पंच पर ..... • प्रतिष्ठितं । +0000003 करेडा - मेवाड | श्री पार्श्वनाथजी का मंदिर | धातु की प्रतिमा पर | [1905 ] * ( १ ) ओ देव धम्मयं सुमति गुरो: मध्यम शाखस्य ( ५ ) वसति का० देवसूरि ( ३ ) निः संवतु .. [1906] सं० १६०४ ० ज्येष्ठ व.. बा कहानी (१) श्री कुंथुनाथ व जि... दान स्वत सोनी सीदकरण ... *** [ 1907 ] ॥ संवत् १६१५ वैशाख सुदि ६ श्री आदिनाथ. - पु० ना० सुंदर.. *****.] संवत् के अंकों का स्थान टूट गया है, परन्तु लेख के अन्य अक्षरों से है कि प्रतिमा बहुत प्राचीन है । "Aho Shrut Gyanam" सरपत्र श्री विजयदान सूरि प्र० बा०
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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