SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 229
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १९०४ ) २ । ० रत्न उ० लूषी ॥ व० ॥ षीमसीह श्रे० डोकर न० घडलसीद उ० धांध ० आमुल नागल श्रे० नागसूर राजब सा० वस्तुपाक्ष धांधलदेवि व० बरदेव ० महत् ३ | फो०रिसीह ० मदथा वदरा श्ररसीह राजपाल श्रे० रतना जा० रामसीह मातृ लक्ष्मी मम्सी दो० लूगा उ० पाता श्रीयादेवी सुहव व पतसीह उ० सिरी ४ । ० सीड़ा ॥ मातृ० वालिपि ० वयरसीह फो० धरणग धाधवदेवि राजल || बापई बाo तेजी वoतिदुपाल व बाबि फो० मूला सुपल प द्वा० सोवल कामलदेवि ३० लघमीचर | चरणचौकी पर | [ 1790] * १ | || ए० ॥ सं० १६० वर्षे फाल्गुन सित द्वादशी सोमवासरे श्री द्वीप बन्दिर वास्तव्य वृद्धशाखोय उकेश ज्ञातीय सा० सुहासी नार्या संपूराई सुत सा० सिवराज नाम्ना श्री कुंकुमरोल पार्श्व बिंबं सपरिकरं कारितं प्रतिष्ठितं च स्वप्रतिष्ठायां । प्रति २। ष्टितं च तपागच्छाधिराज अहारक श्री १७ श्री हरिविजय सूरीश्वर पट्टालंकार ज० श्री १७ श्री विजयसेन सूरीश्वरपट्टप्रजाकर जहारक प्रभु श्री १७ श्री विजयदेव सूरिनिः । स्वप्रतिष्ठिताचार्य श्री ५ श्री विजयसिंह सूरिनिः साथा ( ? ) व शिष्योपाध्याय श्री ५ श्री अवस्यगणप्रमुखपरिकरितैः ॥ शुनं जवतु ॥ श्री ॥ [1791] + १। सं० १३३० वैशाख सुदि (२) शनौ पल्लीवाल ज्ञातीय उ० आसाढ़ ० सापवान्यां जा जाल्ह श्रेयोर्थ ५। श्री मलिनाथ बिंबं वण् यासपालेन कारितं प्रतिष्ठितं श्री पूर्ण नऊ सूरिभिः । [1792 ] + १ | | जे सं० १३४० ज्येष्ठ यदि १० शुक्रे पल्लीवाल जा० वीरपाल चा० पूर्णसिंह जा० वय * यह लेख जमीन से निकली हुई मूर्ति के चरणों की पर है। 1 महिनाथ महादेव के मन्दिर के पास पड़ी हुई खण्डित मूर्तियों पर ये लेख हैं । "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy