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________________ ( १४६ ) श्री अजितनाथजी का मंदिर - महवा कटड़ा। पाषाण की मूर्तियों पर। [1638] मूलनायकजी। संवत् १७७१ माघ सुदि ३ वृहत् खरतर गच्छे श्री जिनलाल सूरि शिष्य पाठक श्री हीरधर्मगण्युपदेशेन श्रीमाल टांक जांवतराय सुनन चुनिलालेन सुन बहापुरसिंहयुतेन श्री अजितनाथ विं कारितं । श्री बाराणश्यां प्रतिष्ठितं । श्री जिनहर्ष सूरिणा श्री खरतर गई। [1630] संघ एएए मि फा० सु० ५ इदं श्री ऋषनदेवजी आदिनाथ विवं कारितं श्री उत्सवास वंशज ताराचंद लखमीचंद प्रतिष्ठितं वृहद् जहारक श्री जिनचंद सूरिभिः । [1640] सं० १५५ए मि० फा० सु०५ श्दं श्री महावीर विवं कारापितं सेठ सराचंद प्र० जद्वारक जिनचा सूरिचिः। पंचतीथियों पर। [1841] सं० १४५ वर्षे मार्ग० वदि ४ गुरौ उपकेश झातो सुचिंतो गोत्रे साह निरकु नार्या जयनादे पु० सा नान्हा नोजाकेन मातृपितृश्रेयसे श्री शान्तिनाथ विंबं कारितं श्री उपकेश गछ ककुदाचार्य संताने प्रतिष्ठितं जय श्री श्री श्री सर्व सूरितिः ॥ [1642] संवत् १५६७ वर्षे वैशाष सुदि १० उ० सुचिंती गोत्रे साजेसा जार्या जस्मादे पुणे मीडा नार्या हर्षु आत्मपुण्यार्थ श्री आदिनाथ बिंब कारितं । को० श्री नन्द सूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ श्री॥ "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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