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________________ ( १४१) पुत्र सो० गुणराज सुश्रावकेण जाप मेघाई पुण् पूनां महिपाल नात हरषा श्री राजसिंह राज सानपानसहितेन श्री अंचल गछे श्री जयकेशरि सूरि उ० पत्निपुण्यार्थं श्री कुंथुनाथ वियं कारितं । प्रा श्रीसंघेन चिरं नंदतु । [1820] ॥ सं० १५७० वर्षे या सुदि ५ बुधे सूगणा गोत्रे संग शिवराज पु० सं० हेमराज नार्या हेमसिरि पुत्र संघवी नाव्हा ना नारिगदे संघवी सिंहमल आर्या संघवीणि चापश्री पुत्र पृथ्वीमा प्रमुग्वपुत्रपौत्रसहितैः श्री वासुपूज्य बिंब कारितं । पितृमातृपुन्यार्थ । श्रात्मश्रेयते श्री धर्मघोष गछे श्री पद्मानंद सूरि पट्टे श्री नंदिवर्धन सूरि प्रतिष्टितं । चौवीसी और पाषाण के चरणों पर । [1621] ॥ उ संवत् १५३७ वर्षे जेठ सुदि । मंगलबारे उपकेश झातीय सोनी गोत्री स० तिणाया पुत्र सारा संसारचंड पुण्यार्थ श्री चतुर्विशति कारापितं । प्र । रुपलीय गळे जट्टारक श्री जिनदत्त सूरि पट्टे जा श्री देवसुंदर सूरिभिः ॥ [1622] ॥ सं० १९१४ व ज्ये । छि। ति । चं । श्री जिन कुशल सूरि पादौ न । श्री जिनमहेछ सूरिजिः का । श्री गो। कन्हैयालाक्षेन मुसार्थ । [1623] संघ १९५४ मा शु० १३ गुरौ श्री गौतमस्वामी पादुका कारिता ओ वं नाहर गोत्र लाला चंगामल पुत्र जवाहिरलालेन प्रतिष्ठितं । श्री विजय ग श्री जिनचंडसागर सूरि पट्टोदयाधिदिनमणि पूज्य श्री शांतिसागर सूरिलिः ॥ श्रीमंदिर स्वामीजी का मंदिर - सहादतगंज । 624] ॥ संवत् १५१७ वर्षे माघ सूदि । शुके श्री मोढ झा मं० गोरा ना० राऊ सुत जोजा ३६ "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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