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________________ ( १३७ ) श्रेयार्थं सुत सांगणेन श्री शांतिनाथ बिंब कारापितं । [1003] ॥ संवत् १५४४ वर्षे आषाड़ वदि गुरौ उपकेश ज्ञाता हुंड यूग गोत्र संभ गांगा पुष पदमसी पुण् पासा ना मोहणदेव्या पु० पाहा श्रीवंतसहितया स्व पुण्यार्थं श्री आदिनाथ विंबं का प्रण उपकेश गळे श्री देवगुप्त सूरिजिः ॥ [1604] संवत् १५५५ वर्षे ज्येष्ठ शु० १३ दिने अ० झा बलदनन ग्रामवासि व्या वेता जाय सारू पुण् व्य० येसाकेन नाम कीहु सहितेन स्वश्रेयोर्थ श्री शांतिनाथ विंबं काय प्रतिष्ठितं तपागछे श्री हेम विमल सूरिलिः । श्रीरस्तु। [1605] संवत् १५५७ वर्षे कार्तिक वदि ५ रवी श्री श्रीमाल झा श्रेण मोकल जाए वरजू पुत्र पांचा ना जासू पुरा वछासहितेन स्वपूर्वजश्रेयो) शीतलनाथ चिंबं का नागेंऽ गर्छ भाग श्री कमलचंद सूरि पट्टे श्री हेमरत्न सूरि प्रतिष्ठितः ॥ [1606] "" श्री नागपुरीय गछे श्री हेमसमुद्र सूरि पट्टावतंसेः श्री हेमरत्न सूरिनिः ॥ शुनै॥ लाला माणिकचंदजी और राय साहब का देरासर । मर्तियों पर । [1607] सं० १९२० मि० फा० कृण ५ बुध सा । प्र। जाण महसाव कुंवर श्री अधिष्टायक जिन त्रियं का श्री अमृतचंछ सूरिनि । [1608] सं० १९२४ माघ शुक्ल १३ गुरौ श्री रुपनदेव जिन चिं कारितं ओस वंशे चोरडिया "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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