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________________ ( १३७ ) [ 1596] संघ १९९१ शाके १७७६ । मा । छु । पदे ६ | बुधे श्री महावीरजी जिन चि० प्र० श्री शातिसागर सूरिभिः का० सुचिती गोत्रे रुपचंद तत्पुत्र धर्मचंद्र श्रेयोर्थं । [ 1597] सं० १९९२१ शाके १७७६ | मा । शु० ६ बुधे श्री महावीर जिन विव प्र० श्री शांति सागर सूरिजिः का० सुचिंती गोत्रे बाबू रूपचंद तद्भार्या मनि विवि श्रेयोर्थं । [ 1598] सं० १९२४ माघ शुक्ल १३ गुरौ श्री अजित जिन बिंबं उस वंशे सुचिंती गोत्रे बाबा रूपचंद पुत्र धर्मचंद तनार्थ गुलाबो विवि श्रेयोर्थं ज० श्री शांतिसागर सूरिजिः प्रतिष्ठितं ॥ [1509] सं० १९७२४ माघ शुक्ल १३ गुरौ श्री महावीर जिन बिंबं उस वंशे सूराणा गोत्रे लाला खैराती मल पुत्र रूपचंद तद्भार्थी बोटी विबि का० प्र० श्रीशांतिसागर सूरिनि: बिजयगडे | [ 1600] सं० १९२४ मात्र शुक्क १३ गुरौ श्री पार्श्वनाथ जिन बिंबं उस वंशे चोरडिया गोत्रे ला । रजूमल तत्पुत्र इंद्र चंद्रण का० प्र० श्री शांतिसागर सूरिजिः विजय गछे । [1601] सं० २०२४ माघ शुक्ल १३ गुरौ श्री पार्श्वनाथ जिन विं उस वंशे सुचिंती गोत्रे लाला रूपचंद पुत्र धर्मचंद्रेण का० प्र० श्री शांतिसागर सूरिनिः विजय गछे । पंचतीर्थयों पर | [1602] सं० १३१३ फा० शु० ६ प्राग्वाट ज्ञातीय श्रे० बोचा जाय सहज मननयी ( ? ) पूर्वज ३५ "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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