SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 149
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ११७) [1510] सं १७७३ माघ सुदि १३ बुधवारे राजनगरे जैसवाल झाति वृद्ध शाम साकोरचंद रूपा श्रेयोर्थ शांतिनाथ विंबं जरावी प्रतिष्ठाया प्रतिष्टितं तपागछे । [1520] शाहजहां विजय राज्ये । श्री विक्रमार्क समयातीत संवत् १६७१ वर्ष शाके १५३६ प्रवर्त्तमाने आगरा वास्तव्य जैसवाल झातीय लोढा गोत्रे श्रवाणी वंशे सं० शपनदास तत्पुत्र सं० श्री कुंरपाल सोनाक्ष संघाधियां श्री अनंतनाथ विवं प्रतिष्ठित श्रीमदंचल गछे पूज्य श्री ५७ श्री धर्ममूर्ति सूरि पदाम्बुज हंस श्री श्री कल्याण सागर सूरीणा मुदेशेन । श्याम पाषाणके मूर्तियों पर [1521] ॥ सं० १७ फा सु० ॥ शनी उश वंशे लोढा गोत्रे हरपचंद्रस्य ... श्री सुर्थ विवं ..। [1522] ॥ सं० १७Jए फाप सु ए शनी उस वंशे मयाचंदजी तत्पुत्र धनसुख । [ 1523] सं० १७ फा० सु । शनी श्रीमान पाइड मन्नुलाल । [1524] ॥ स रपए का सु० ॥ शनौ चोरडिया गोत्रे दयाचंद ........! श्वेत पायाण के चरणों पर। .. [1525] . से १७६३ मिण माघ ० ५ दिने श्री अतीत चौविसी जगवान जी की जैसवाल वेत्रो "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy