SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 148
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [ 1518] मं० १९२४ मा शु० १३ गुगै मुनिसुव्रत जिन किंवं कारितं उस वंशे बाजेड़ गोत्रे माखा हरप्रसाद तन् पुत्र जीवनदास जार्या नन्ही बीबी श्रेयोर्थ न श्री शांतिसागर समितिः प्रतिष्ठितं विजय गछे। [1514] मं० २९२४ मा शु० १३ गुरौ सुमतिनाथ जिन विवं वैद मुहता गोत्रे सासा धर्मचंड पुत्र शिषरचंद तद् ना० सांस्न बीबी श्रेयोर्य। जय श्री पूज्य श्री शांतिसागर सूरिशिः प्रति विजय गई [1515] ॥ सं० १९२४ मा शु० १३ महावीर जिन । वैद धर्मचंदजी विजय गछे ज० शांतिसागर सूरिनिः। [1516] सं० १९२४ मा शु० १३ श्री सुमति जिन बिंब का उस वंशे मालकस गोत्रीय धर्म चंद तत् पुत्री मंगल बीवी प्र०। विजयगळे जण। श्री शांतिसागर सूरिभिः श्रेयोर्थे प्रतिष्ठितं हीरा बीबी। [1517] सं० १९५४ मा शु०१३ संजव जिन। मालकस गो धर्मचं तत् पुत्र हीरा बीबी । प्र० । शांतिसागर सूरिनिः विजयगछे। [15183 सं० १९२४ मा शु० १३ गुरौ श्री धर्मनाथ बिंब का उस वंश सुचिंति गोने बाण नोवतराय पुण् रेवा प्रसादेन कारितं प्रा.विजवगछे शांतिसागर सूरिजिः । "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy