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________________ ( ११३ ) [1401] || सं० १४८५ वर्षे ज्येष्ठ सुदि १३ जसवाल खांटड गोत्रे सा० जाइजू जा० अहवदे पु० पूना पितृश्रेयसे श्री संजवनाथ विम्बं का० प्र० श्री धर्मघोष गरे श्री मलयचन्द्र सूरि पट्टे श्री पद्मशेषर सूरिभिः ॥ [1492] || सं० १५०३ मार्ग सुदि ५ ॐ० झा० उबितवाल गोत्र सा० मेघा पुत्र सा० खेताकेन जा० हर्षमद सह पूर्वपुरष मेलानिमित्तं शान्तिनाथ विम्बं का० प्र० श्री धर्मघोष श्री महोतिलक सूरिजिः ॥ [1493] || सं० १५०० वर्षे उएश वंशे सा० पेड़ जा० षीयाही पु० खेला सरवण साजण कै श्री अंचलगष्ठेश श्री जयकेशरी सूरि उपदेशेन श्री विमलनाथ बिम्बं स्वश्रेयसे कारितं प्र० ॥ [1494] ॥ सं० १५० वर्षे वैशाख सुदि छ रवौ उपकेश सुचिन्ति गोत्रे सा० नरपति पु० साव साहा पु० फमण जा० कल्हाही पु० सुधारण जा० संसारदे युतेन पित्रोः श्रेयसे श्री यादि नाथ विम्बं कारापितं उनके ककुदावार्य प्र० श्री कक्क सूरिजिः ॥ [ 1405 ] ॥ सं० १५२४ वर्षे मागसिर वदि ५ सोमे जयकेश ज्ञातीय मर्द केल्दा जाय कील्हल पुत्र मुरजकेन जा० रापी सहितेन श्री कुन्थुनाथ त्रिस्थं का प्रतिष्टितं श्री ब्रह्माणी यग ज० श्री उदयन सूरिजिः ॥ श्रीः ॥ [1496] || संवत् १८५४ वर्षे माइ यदि २ गुरौ प्राग्वाट ज्ञातीय शृङ्गारसंघवी सिद्धराज सुश्राव केन नाय पकू पुत्र सा० कूपा जाय रम्मदे मुख्यकुटुम्बस हितेन श्री सुपार्श्वनाथ चित्रं कारितं प्रतिष्ठितं श्री सूरिनिः ॥ "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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