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________________ [1447] ॥ संवत् १५एर माघ सुदी ५ बुधवासरे श्री मूलसंघे नए श्री जिनचन्छ तदाम्ना जसवाल इव्हा - कुवेसल श्री हेमणे .... [1448] ॥ संवत् १६२७ वर्षे ज्येष्ठ वदी १..." भी सुपार्श्वनाथ बिम्ब कारापितं प्रतिष्ठितं श्रीवृहत् खरतरगडे न0 श्री जिनना सूरिनिः । [1449] ॥ सं० १९३१ वर्षे आगरा वास्तव्य लोढा गोत्रे प्रतापसिंहस्य जाण् मूल श्रीनवपद कारितं प्रतिष्ठितं श्री (?) विजयसूरी... । धातु की चौविशी पर। [1450] ॥ संवत् १५३४ वर्षे वैशाख सुदी दशमी शुक्र ओसवाल झातीय राका शाखायां वलह गोत्रे संप रत्नापुत्र स राजा पु० सं० नाथू ना बदहा पुत्र सं० चूहम ना हीसू पु० सण महाराज नाग संया पुत्र सोहिल लघुत्रातृ महपति ना माणिकदे सुण जरहपाल ना मबूही पुण् धनपाल स० हेमराज ना० उदयराजी पुत्र संघागोराज ज्रातृ सेन्यरत्न नाम श्रीपासी पु० संघराज समस्तकुटुम्बसहितेन सुश्रावकेन हेमराजेन श्री धर्मनाथ बिम्ब कारापितं श्रीनपकेश गछे ककुदाचार्यसन्ताने प्रतिष्ठितं न० श्री सिझ सूरि निः ॥ श्रीरस्तु ॥ पाषाण की मूर्तियों पर। [1451] उ सिद्धिः ॥ संवत् १६६० ज्येष्ट सुदि १५ तिथौ गुरुवासरे अनुराधा नक्षत्रे । श्रोसवाख ज्ञातीय थरडक सोनी गोत्रे साह पूना संताने सा कान्हड़ जान्जामनी वहु पुत्र सा० "Aho Shrut Gyanam'
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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