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________________ 1227] संवत १६७४ बर्षे -- माघ सुदि ए दिने नोम बासरे श्रवण नक्षत्रे --- - गोत्रे गकुर --- गकुर काडेन तत्पुत्र गकुर फुलीचंद श्री जिन कुशल सुरीणं पाके कारितं । [228] सं० १६ए। शाके १५५ए ईश्वर वर्षे सम्बतसरं चत्र बदि १३ शुक्र शुने मुहुर्ते दक्षिण देशे न श्री कुमुदचंड दिनंद पट्टे ना श्री मूल श्रृंगार हा ----- बघेरवाल ज्ञातौ स० श्री तोला जा० सं .--- पुत्र स० श्री कृष्ण ॥ - - - - देव नार्या सोहि - - - श्रेयोथ श्री महावीर पाउका स्थापितं । [220] सं० १७३० माघ शुदि. ५ - श्री सकस संघे श्री पार्श्व ना पा कारापि - [230] सं० १३० माघ शु० ५ सकल संघेन शांतिनाथ पापु० कारापिता [231] प्रणमहिये गूणवीस सय बरसे वश्साह - सुद्ध - - - वह पियामह सिरि जिन कुशल सूरि पाय हवणा कारिया सिरिमाल वंसे वदलीया गुत्ते साह कमला वश्णा विसाला सुपर हिय सयल सूरीहिं ॥ श्री॥ [232] श्री दादाजी श्री कुशल सुरजी सहायः सं० १७४६ मीती बेसाख सुदी १३ - - -!
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
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