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________________ ( ४३ ) ✓[177] संवत १९७२४ मिति माघ कृष्ण ए जोमे श्री गुण शिलाख्ये चैत्ये श्री डूगड़ प्रतापसिंह कानां जाय मह्ताव कुंवर तत्कुदितोत्पन्न कनिष्ठ पुत्र श्री राय धनपतसिंह बहादुर नाम्ना स्वपत्नी प्राणकुंवर जन्म सफली करणाथं श्री अष्टापद तीर्थे श्री शत्रुंजय निर्वाण खाजता श्री यदि जिन चरण पाडुका कारापिता श्री जिननकि सूरि शाखायां उ० सदा लाज गणिना प्रतिष्ठितं शुभम् j. [178] सं० १९३० माघ शु० ५ सकल संघेन श्री बीर पाडुका कारापित स्थापितं श्री गुणशीघ्र चेत्ये श्रात्महिताय ॥ पाषाण पर । ✓[179] सं० २०१४ मिती माघ कृष्ण ए जोमे गुणशीले चैत्ये डूगड़ गोत्रे श्री प्रतापसिंहजी तत्जार्या महताब कुंवर तत्पुत्र चिरू राय बढ़ापुर तत् प्रथम पत्नी प्राणकुंवर जन्म साफल्य करा पिता जीर्णोद्धारं । उ० श्री आणंद बलन गपि ततशिष्य उ० श्री सागरचंद गणि उपदेशात् ॥ श्रीः ॥ शुनंचूयात् । पाषाण पर । [180] = 1 श्री जिनेंद्र जयती । स्वस्ती श्री मद बीरजिनेंद्र सं० २४२९० वि० सं० १९५९ बर्षे बै० वद० बुधवारे श्री तपा गछामनाय धारक सुश्रावक दसा श्रीमाल ज्ञातीये सा० रुपचन्द रंगीलदास देवचन्द पाटनवाला दाल मुकाम येवला मुंबई ये वनना स्मर्नार्थं तत्त बन्धु चतुर चन्द सुत वेल चन्द वाल चन्द भाग चन्द जय = ३ ये ॥ श्री गुणशील चैत्य था
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
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