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________________ (३४) श्री जिनचंऽ सूरिभिः वृहत् खरतर गछे अजिमगा वास्तव्य कारितं गोलेष्ठा गोत्र -- --श्राविकया कारि॥ (२। शान्तिनाथ ३ । चंप्रनु । विमलनाथ --- अजयराजेन श्रेयोर्थ । ) , [148] ॥सं। १७५६ फाल्गुण कृष्ण प्रतिपत्तथो श्री वासुपूज्य जिन चरण न्यासः प्र। सब सूरिनिः । कारितं । सर्व संघेन । चंपानगर मध्ये ॥ J [144] ॥ संबत । १७५६ वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीयायां तिथो श्री जिनकुशल सूरि पाषुके । प्रतिष्ठितं नः श्री जिनचंड सूरिनिः बृहत् खरतर गछे कारितं । समस्त श्री संघेन श्रेयोर्थ । । [145] संवत ११ मिति माग शुक्ल षष्ठ्यां शुक्रवार काष्ठासंघ माथुर गछे पुत्कर गणे लोहाचार्याम्नाय जट्टारक श्री जगत्कीर्ति सदानाय अग्रोत कान्वये पिपल गोत्रे प्रयाग नगर बास्तव्य सा० क श्री हीरालाल पुत्र ऋषनदास पुत्र सन्नूलाल --- अगरवाल प्रजा सा --श्री पद्मप्रज---प्रतिष्ठा कारिता । । [146] संरए०० आषाढ शित ए गुरो श्री संजवनाथ बिवं प्रतिष्ठितं वृहत - - - सूरिभिः कारितं च दूगड़ सरूपचंद वात करमचंद हुलासचंद जननी प्राण बीबी श्रेयोर्थ । - 11471 संवत १० वर्षे मिः फागुण सुदि ३ दिने। श्री शान्तिनाथ विवं कारितं मकसुदावाद वास्तव्य श्री संघेन श्रेयसे प्रतिष्ठितं च ज । श्री जिनहर्ष सूरि पट्टालङ्कार न । श्री जिन सोनाग्य सूरिचिः वृहत् खरतर गछे ।
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
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