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________________ J [74] १७ वैशाख सुदि ६ सोमे उपकेश ज्ञातो बलदि गोत्रे राका शाखायां सा० पास जा० हा पु० पेथाकेन जा० जीका पु० २ देपा डूदादि परिवार युतेन स्वपुण्या श्री पद्मप्रविं कारितं प्रतिष्ठितं श्री उपकेश गछे ककुदाचार्य सन्ताने ज० श्री सिद्ध सूरिजिः दन्तराइ बास्तव्यः । J J ( १९ ) [75] स्फटिक के बिंव पर । सं १९१० ब० ज्ये०सु० १ श्री स्तम्म तीर्थ वा० उकेश ज्ञा० गांधि गोत्रे प-सी सीत ना० शिवा श्री कुन्थुनाथ विंवं प्र० श्री विजयानन्द सूरिजिः । तप ( नय ) करण । [76] रौप्य मूर्ति पर । सं० २०७६ बर्षे बैशाख शुक्ल ५ तिथौ । उसवाल बंशीय श्रेष्ठ श्री माणिक चन्दजी स्वधर्म पत्नी माणिक देवी प्रतिष्ठितं श्रीमत् चतुर्विंशति जिन बिंवं चिरं जयतात् ॥ श्रेयांस्तः ॥ भद्र भवतुः ॥ १४ ॥ श्री नमिनाथजी का मन्दिर >[77] धातुयोंके मूर्तिपर | सं० १४८० बर्षे ज्येष्ठ बदि ५ उपकेश ज्ञातीय आयचणाग गोत्रे सा० घासा ना० वाहि पु० माजू नाहू जा० रूपी पु० खेमा ताल्दा सावड़ श्री नमीनाथ बिंवं का० पूर्वत लि० ० श्रात्मा श्रे० उपकेश कुक० प्र० श्री सिद्ध सुरिनिः । - कासिमबजार | -
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
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