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________________ (११) यसे श्री आदिनाथ विवं कारितं प्रतिष्ठितं श्री खरतर गठे श्री जिनसागर सरि पट्टे श्री जिन मन्दर सूरि पट्टासकार श्री जिनहर्ष सरिवरैः ॥ श्री ॥ । [40] सं० १५२३ बर्षे बैशाख बदि ४ गुगेश्री उपकेश बंशेस देव्हा नार्या म्हादे पुत्र वया सुश्रावकेण नार्या मेघू पुत्र जयजस्ता पोत्र पूना सहितेन स्वयसे श्री अञ्चल गलेश्वर श्री जय केसरि सूरीणामुपदेशेन श्री सम्नवनाथ विवं कारितं प्रतिष्ठितं श्री संघेन । 150] सं १५५४ वर्षे मार्गशीर्ष सुदि १० शुक्रे उपकेश ज्ञातौ । श्रादित्यनाग गोत्रे सं० गुणधर पुत्र स० मालण ना कपूरी पुत्र स० क्षेमपाल ना० जिणदेवाइ पुत्र सारा सोहिलेन जातृ पास दत्त देवदत्त नार्या नानू युतेन पित्रोः पुण्यार्थ श्री चंद्रप्रन चतुर्विंशति पट्टः कारितः प्रतिष्ठितः श्री उपकेश गछे ककुदाचार्य सन्ताने श्री कक्क सूरिनिः श्री नट्टनगरे । V [51] सं १५५५ बर्षे ज्येष्ठ व० १ शुक्र उपके पत्तन बास्तव्य सा० देवा ना कपूर। पु० सा. पासा ना नाऊं पु० हर्षा जा० मनी ना साश्या रत्नसी सा श्रासकेन ग्लसी नमिण भी वासुपूज्य बिंवं उपश० श्री सिद्धाचार्य सन्तान प्र० ज० श्री सिद्ध सर्शिनः ॥ J[52] संवत १५२७ बर्षे ज्येष्ठ सुदि सोमे प्राग्वाट झातीय दुल गांगा वु० मुजा पुत्र वु० महिराज जा रमाश् श्राविकया श्री वासुपूज्य बिंवं कारितं श्री खरतर गष्ठे श्री जिनसागर सूरी श्री जिनसुन्दर सूरि पट्टराज श्री ३ जिनहर्ष सूरिनिः प्रतिष्ठितं श्रीरस्तु कल्याणं यात् । ([53]) सं १५३४ वर्षे उपकेश झातीय बाल गोत्रे समवी जाटा जा जपतादे पु० माणिक
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
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