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________________ ( २६५ ) वीरवाडा (सिरोही) महावीर स्वामी का मंदिर। ( 953 ) सं० १४१० वर्षे श्रे० महणा मा० कपूर दे० पु. जगमालेन भा० सुतलदे पु० कड्या देल्हा समं वीरवाडा ग्राम श्री महावीर चैत्योहारः कारितः कछोलीवाल गच्छे अ. श्री नरचंद्र सूरि पट्टे श्री रत्नप्रास सूरीणामुपदेशेन प्रतिष्टितः । मंगल ॥ प्राग्वाट ज्ञातीयः ॥ बसंत गढ़ (सिरोही) (किले के अन्दर जैन मंदिर के मूर्ति पर। (असन के दोनो तरफ पीठ पर ) ( 954 ) सं० १५०७ वर्षे माघ सुदि ११ वुधे राणा श्री कुंभ कर्ण राज्ये वसंत पर चैत्ये तदद्वार कारको प्राग्वाट ध्य. सगड़ा भा० मेघादे पुत्र व्य० संडनेन भा० माणिक दे पुत्र कान्हा पौत्र जोणादि युतेन प्राग्वाट व्य. धणसी मा० लींवी पुत्र व्य. भादाकेन भा० आल्ह पन्न जावडेन भोजादि युतेन मूल नायक श्री शांतिनाथ विवं कारित प्रतिष्ठितं सपा श्री सोम सुन्दर सूरि सत्पहालंकरणं श्री मुनि सुन्दर सूरि श्री जय चंन्द्र सूरि पह प्रतिष्टित गच्छाधिराज श्री रत्न शेषर सूरि गुरुमिः। पालडी (सिरोही) ( 955 ) सं० १२४६ वर्षे माघ सुदि १० गुरौ अद्येह श्री नटूले महाराजाधिराज श्री केल्हण देव राज्ये तस्पुत्र राज श्री जयत सीह देवो विजयी ज.. तत्पादपद्मोपजीधिन महा
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
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