SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 284
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( २११ ) पाल सुहडपाल द्वितीय भार्या जाल्हण देवि इत्यादि कुटंध सहितेन मार्या नायक देवि अयोधे देव श्री पार्श्वनाथ चैत्ये पंचमी बलि निमित्त निश्रा निक्षेप हहलेक नरपतिना दत्तं सत् भाटकेन देव श्री पार्श्वनाथ गोष्ठिकैः प्रति वर्षः आचंद्रार्क पंचमी वलिः कार्या ॥ शुभं भवतु ॥ छ । महावीरजी का मन्दिर । - ( 904 ) संवत् १६८१ वर्षे प्रथम चैत्र वाद ५ गुरौ अद्येह श्री राठोड़ वंशे श्री सूरि सिंह पह श्री महाराजे श्री गजसिंह जी विजयि राज्ये....."मुहणोन गोत्रे वृद्ध उसवाल ज्ञातीय सा० जेसा आर्या जयवंत दे पुत्र सा. जयराज भार्या मनोरथदे पुत्र सा० सादा सुमा सामल सुरताण प्रमुख परिवार पुण्यार्थ श्री स्वर्ण गिरि गढ़ादुर्गी परिस्थित श्री मत कुमार विहारे श्री मती महावीर चैत्ये सा. जैसा भार्या जयवंतदे पुत्र सा० जयमल जी वृद्ध भार्या सरूपदे पुत्र सा० नइणसी सुन्दरदास आस करण लघुभार्या सोहागदे पुत्र सा. जगमालदि- - पुत्र पौत्रादि श्रेयसे सा० जयमल जी नाम्ना श्री महाघोर विवं प्रतिष्ठा महोत्सव पूर्वकं कारितं प्रतिष्ठितं च श्रो तपा गच्छ पक्ष सुविहिताचारकारकशिथिलाचार वारक साधु क्रियोद्धार कारक श्री ६ आणंद विमल सूरि पह प्रभाकर श्री विजय दान सूरि पह शृङ्गार हार महा म्लेच्छाधिपति पातशाह श्री अकवर प्रतिबोधक सदृत्त जगद्गगुरू विरुद धारक श्री शत्रुजयादि तीर्थ जीजीयादि कर मोचक षण्मास अमारि प्रवर्गक अहारक श्री ६ हीर विजय सूरि पह मुकुटायमान १० श्री ६ विजय सेन सूरि पह संप्रति विजयमान राज्य सुविहित शिरः शेखरायमाण महारक श्री ६ विजय देव सूरीश्वराणामादेशेन महोपाध्याय श्री विद्यासागर गणि शिष्य पण्डित श्री सहज सागर गणि शिष्य पं० जय सागर गणिना श्रेयसे कारकस्य ॥
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy