SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 241
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १९८) श्री सचियाय माताका मंदिर । (804) सं० १२३६ कार्तिक सुदि १ बुधवारे अद्यह श्री केल्हण देव महाराज राज्ये तत्पुत्र श्री कमर सिंह सिंह बिक्रमे श्री माडव्य पुराधिपती - - - दक्षिकान्वीय कीर्ति पाल राज्य वाहके सद्धती श्री उपकेशीय श्री सञ्चिका देवि देव गृहे श्री राजसेवक गहिलगो क्रय विषयी धारा वर्षेण श्री क संचिका देवि भक्ति परेण श्री संच्चिका देवि गोष्ठिकान अणित्वा सस्समक्ष सइयं व्यवस्था लिखापिता। यथा। श्री सच्चिका देवि द्वारं भोजकैः प्रहरमेकं यावदुद्धाय द्वार स्थितम् स्थातव्यं । मोजक पुरुष प्रमाणं द्वादश वर्षायोत्परः । तथा गोष्ठिकैः श्री सच्चिका देवि कोष्ठागारात् मुग मा०॥ चूत कर्ष १ भोज केम्यो दिन प्रति दासव्यः ॥ (805) संवत् १२३४ चैत्र सुदि १० गुरौ घोर बड़ांशु गोत्र साध बहुदा सुत साधु जाल्हण तस्य भार्या सूहवं तयोः सुतेन साधु माल्हा दोहित्रन साधु गयपालन-- सच्चिको देवि प्रासाद कर्मणि चंडे का शीसडा श्री सच्चिका देवि क्षेमं करी श्री क्षेत्र पाल प्रतिमाभिः सहितं जंघा धरं आत्म श्रेयार्थं कारित। (806) संवत् १२४५ फाल्गुन सुदि ५ अद्येह श्री महावीर रथशाला निमित्तं पाल्हिया धीय देव चन्द्र बधू यशोधर भार्या सम्पूर्ण श्राविकया आत्म श्रेयार्थं आत्मीय स्वजन वर्गा समन्तेन स्वगृहं दत्त।
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy