SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 240
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १७ ) ( 799 ) सं० १५४९ वर्षे माघ सु० ५ गुरौ गंधार वास्तव्य श्री श्री माल ज्ञातीय सा० शिवाआर्या माणिक्यदे नाम्नी तयो सुत सा० लोजक्रेन भा० भम्मीदे धर्मादे नाम्नी न स्वमात्री श्रेयसे श्री विमल नाथ विंवं कारितं प्रतिष्ठा श्री बृहत् तपा पक्षे श्री उदय सागर सूरिभिः । (800) सं० १६१२ वैशाख सुदि ५ दिने श्री लालूण करापितं । ( 801 ) स० १६८३ ज्येष्ठ सु० ३ कडुया मति गच्छे भादेवा पुत्री राजवाई केन श्री सम्भव वित्र सा० तेजपाल ेन प्र० । (802) संवत् १७५८ वर्षे आषाढ़ सुदि १३ । रविवार शुभ दिने श्री वृहत् खरतर गच्छ भहारक श्री जिन राज सूरि । गणे शिष्य ---1 नींव में प्राप्त मूर्त्तिके टूटे चरण चौक पर । ॐ संवत् ११०० मार्गशिर सुदि ६ श्रेयोर्थं कारित जिनेत्रिकम् - 1--. ( 803 ) साली भद्र देव कर्म
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy