SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 235
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (१९२) प्रोसियां। ओसियां एक प्राचीन ऐतिहासिक स्थान है, विशेषकर ओसवालों के लिये यह तीर्थ रूप है। यहां पर बहुतसे प्राचीन कीर्ति चिन्ह विद्यमान है। शासन नायक श्री महावोर स्वामीके मन्दिरका कुछ दिनसे जीर्णोद्धार का कार्य चल रहा है। सचियाय देवी का मन्दिर भी बहुत जीर्ण हो गया है और भी बहुनसे प्राचीन मंदिर इधर उधर टूटे फटे पड़े हैं और समिपमें एक छोटी डूगरी पर मुनियों के अनशनके स्थान पर चरण प्रतिष्ठित है। मंदिर प्रशस्ति । ( 788 ) ॥ ॐ ॥ जयति जनन मृत्यु ध्याधि सम्बन्ध शन्यः परम पुरुष संज्ञः सर्ववित्सर्व दी। ससुर मनुज राजामीश्वरोनीश्वरोपि, प्रणिहित मतिभिर्यः स्मर्य्यते योगिवय्यः॥१॥ मिथ्या ज्ञान धनान्धकार निकरावष्टब्ध सद्वोध दृग्दृष्टा विष्टपमुभवद् घनघृणः प्राणभृतां सर्वदा कृत्वा नोति मरीचिभिः कृस युगस्यादौ सहस्रां शुवत्प्रातः प्रास्तसमास्तनोतु भवतां भद्रस नालेः सुतः ॥ २॥ यो गाणि सर्व-भिद भिहितां शक्ति मश्रधा नः क्रूरः क्रीड़ा चिकीर्ष्या कृत - - - - वृद्ध - - - - मुष्टया यस्याहतो सौ मूलि मित इयता नामरत्वं यतो भूत्पुण्यः सत्पुण्य वृद्धि बितरतु भगवान्वस्स सिद्धार्थ सूनुः ॥ ३ ॥ स्वामिनिकं स्वनिवासालय बन समयोस्माक माई ---- नस्यावसाने - - - उत्त महली काचिदन्याय देषा इत्युनान्तरात्मा हरि मति अयतः सस्व जेशच्य नीचैर्यत्पादांगुष्टकोद्याकनक नगपतौ प्रेरिते व्यांत्सवीरः ॥ ४॥ श्री मानासीत्प्रभुरिह भुवि --- यक वीर स्त्रैलोक्येयं प्रकट महिमा राम नामासयेन चक्र
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy