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________________ (787 ) संबत १६७७ ज्येष्ठ बदि ५ गुरुधारे पातसाहि श्री जिहांगीर विजय राज्ये साहियादा साहिजहां राज्ये ओसवाल ज्ञातीय गणघरचोपड़ा गोत्रीय स० नामा भार्या नयणादे पुत्र संग्राम भा० तोलो पु० माला मा० माल्हणदे पु० देका भा. देवलदे पु० कचरा ना. कउडिमदे पु. अमरसी--भा० अमरादे पुत्ररत्न संप्राप्त श्रा अर्बुदाचल विमलाचल संघपति तिलक कारित युग प्रधान श्री जिन सिंह सूरि पह नंदि महोत्सव विविध धर्म कर्तव्य विधायक स० आस करणेन पितृव्य चांपसी भातृ अमीपाल कपूरचन्द स्वभार्या अजाइयदे पु. ऋपमदास सूर दास भ्रातृव्य गरीबदासादि सार परिवारेण अयोर्थ स्वयं कारित मर्माणीमय विहार शूगारक श्री शांतिनाथ विंबं कारित प्रतिष्ठितं श्री महावीरदेव - - - परंपरायत श्री वृहस्खरसर गच्छाधिप श्रीजिन भद्र सूरि संतानीय प्रतियोधित साहि श्री मदकव्वर प्रदत्त युग प्रधान पदवीधर श्री जिन चंद्र सूरि विहित कवित काश्मीर विहार वार सिंदूर गर्जणा विविध देशामारि प्रवर्तक जहांगीर साहि :प्रदत्त युग प्रधान पद साधक श्रीजिनसिंह सूरि पहोत्तस लब्ध श्री अम्बिका वर प्रतिष्ठित श्री शत्रुजयाष्ठमोद्धार प्रदर्शित भाण वडमध्य प्रतिष्ठित श्री पार्श्व प्रसिमा पीयूष वर्षण नाव बोहित्थ वंशमण्डन धर्मसी धारलदे नन्दन भहारक चक्रवर्ति त्री जनराज सूरि दिन करैः । आचार्य श्री जिन सागर सूरि प्रति यति राजः ॥ सुत्रधार सुजा। प्रतिष्ठित महारक प्रभु श्री जिन राज सूरि पुरंदरैः श्रा मेडता मगर मध्ये।
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
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